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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र पीला होता है, अथवा (१०) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, अथवा (११) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता
इस प्रकार ये चतु:संयोगी ग्यारह भंग होते हैं। यों पांच चतु:संयोग कहने चाहिए। प्रत्येक चतुःसंयोग के ग्यारह-ग्यारह भंग होते हैं। सब मिलकर ये ११४५-५५ भंग होते हैं।
यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो (१) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (२) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (३) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (४) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है (५) कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, अथवा (६) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है । इस प्रकार ये छह भंग कहने चाहिए। इस प्रकार असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतु:संयोगी ५५ और पंचसंयोगी ६, यों सब मिला कर वर्णसम्बन्धी १८६ भंग होते हैं। गन्धसम्बन्धी छह भंग पंचप्रदेशी स्कन्ध के समान (समझने चाहिए।)
रससम्बन्धी १८६ भंग इसी के वर्णसम्बन्धी भंग के समान (कहने चाहिए।) स्पर्शसम्बन्धी ३६ भंग चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान जानने चाहिये।
विवेचन—षट्प्रदेशी स्कन्ध के वर्णादि विषयक चार सौ-चौदह भंग-षट्-प्रदेशीस्कन्ध के वर्ण के १८६, गन्ध के ६, रस के १८६, और स्पर्श के ३६, यों कुल मिलाकर ४१४ भंग होते हैं। सप्तप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि भंगों का निरूपण
७. सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ?
जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते। जति एगवण्णे, एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहा छप्पएसियस्स। जइ चउवण्णे-सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य १; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दगा य २; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दए य ३; एवमेते चउक्कगसंजोएणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य, नीलगा य, लोहियगा य, हालिद्दए य १५। एवमेते पंच चउक्का संजोगा नेयव्वा; एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा-सव्वमेते पंचसत्तरि भंगा भवंति। जति पंचवण्णे-सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दए य, सुक्किलगा य २; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दगा य, सुक्किलए य ३; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिद्दगा य, सुक्किल्लगा य ४; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दए य, सुक्किलए य, ५; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दए य, सुक्किलगा य ६; सिय कालए य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दगा य, सुक्किलए य ७; सिय
लए य. नीलगा य. लोहियगे य. हालिहए य. सक्किलए य८: सिय कालए य. नीलगाय, लोहियए य, हालिद्दए य, सुस्किलगा य ९; सिय कालए य, नीलगा य, लोहियए य, हालिद्दगा य,