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________________ प्रकाशकीय समिति की ओर से प्रकाशित आगमबत्तीसी के ग्रन्थों के तृतीय संस्करण प्रकाशित करने के क्रम में व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र का यह अन्तिम चतुर्थखण्ड प्रस्तुत कर रहे हैं। भगवतीसूत्र उपलब्ध समस्त आगमों में सबसे विराट्काय आगम है और विविध विषयों की चर्चा से परिव्याप्त है। इसके तृतीय संस्करण के मुद्रण की सम्पूर्ति अतीव प्रमोद का विषय है। उत्तर भारतीय प्रवर्तक पद पर प्रतिष्ठित विद्वद्वर मुनिश्री भण्डारी पद्मचन्द्रजी म० के विद्वान् अन्तेवासी श्री अमरमुनि म० ने इसका अनुवाद करके आगमप्रकाशन समिति को जो महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया है, उसके लिए समिति अत्यन्त आभारी है। साहित्यवाचस्पति प्रतिभामूर्ति श्री देवेन्द्रमुनिजी महाराज के अनुपम सहयोग को समिति कदापि विस्मृत नहीं कर सकती।अद्यावधि प्रकाशित सभी आगमों पर आपने विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावनाएँ लिखी हैं। यदि यथासमय आपने प्रस्तावनाएँ लिखकर उपकृत न किया होता तो प्रस्तुत प्रकाशन अति विलम्बित हो जाता। मगर अस्वस्थता, व्यस्तता एवं विहार आदि के व्यवधानों के होते हुए भी आपने प्रस्तावनाएँ लिखकर प्रकाशन के कार्य को द्रुत गति प्रदान की। एतदर्थ आपके प्रति भी हम हृदय से आभारी हैं। __इस विराट् आयोजन के पुरस्कर्ता श्रद्धेय युवाचार्यश्रीजी के आकस्मिक और असामयिक स्वर्गवास के पश्चात् अध्यात्मयोगिनी महाविदुषी श्री उमरावकुंवर महासतीजी का पथप्रदर्शन हमारे लिए अत्यन्त प्रशस्त सिद्ध हो रहा है। किन शब्दों में उनके सहयोग के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाए? ___ प्रस्तुत आगम के प्रथम संस्करण के प्रकाशन में समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष, समाज के लिए महान् गौरवस्वरूप, धर्मनिष्ठ समाजनेता पद्मश्री स्व. सेठ मोहनमलजी सा. चौरड़िया का विशिष्ट आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ। आपके आदर्श व्यक्तित्व से समाज भलीभांति परिचित है। आपके जीवन की संक्षिप्त रूपरेखा पृथक् दी जा रही है, जो हमें मद्रास के क्रियाशील उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमान् भंवरलालजी सा. गोठी के माध्यम से प्राप्त हुई है। समिति उन समस्त महानुभावों की भी हृदय से आभारी है, जिन्होंने इस बृहद् ग्रन्थ के सम्पादन में अपना सहयोग प्रदान किया है। अन्त में आगमप्रेमी सज्जनों के प्रति निवेदन है कि प्रकाशित आगमों के प्रचार-प्रसार में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करें, जिससे स्व. परमूज्य युवाचार्यश्रीजी की आगमज्ञान-प्रचार की उदात्त , पावन भावना साकार हो सके। सागरमल बेताला अध्यक्ष भवदीय रतनचंद मोदी सरदारमल चोरड़िया ज्ञानचंद विनायकिया कार्यवाहक अध्यक्ष महामंत्री मंत्री श्री आगम प्रकाशन-समिति ब्यावर
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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