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एगूणवीसइमं सयं : उन्नीसवाँ शतक
उन्नीसवें शतक के उद्देशक के नाम
१. लेस्सा य १ गब्भ २ पुढवी ३ महासवा ४ चरम ५ दीव ६ भवणा ७ य। निव्वत्ति ८ करण ९ वणचरसुरा १० य एंगूणवीसइमे॥१॥
[१ गाथार्थ-] उन्नीसवें शतक में ये दस उद्देशक हैं—(१) लेश्या, (२) गर्भ, (३) पृथ्वी, (४) महाश्रव, (५) चरम, (६) द्वीप, (७) भवन, (८) निर्वृत्ति, (९) करण और (१०) वनचर-सुर।
विवेचन–दश उद्देशक-उन्नीसवें शतक में १० उद्देशक इस प्रकार हैं(१) प्रथम उद्देशक लेश्याविषयक है। (२) द्वितीय उद्देशक गर्भविषयक है। (३) तीसरे उद्देशक में पृथ्वीकायिक आदि जीवों के विषय में शरीर-लेश्यादि का वर्णन है। (४) चौथे उद्देशक में महाश्रवादिविषयक वर्णन है। (५) पांचवें उद्देशक में जीवों के चरम, परमादि-विषयक वर्णन है। (६) छठे उद्देशक में द्वीप-समुद्र-विषयक वर्णन है। (७) सप्तम उद्देशक में भवन-विमानावासादि का वर्णन है। (८) आठवें उद्देशक में जीव आदि की निर्वृत्ति का वर्णन है। (९) नौवाँ उद्देशक करणविषयक है। . (१०) दसवाँ उद्देशक वनचर-सुर (वाणव्यन्तर देव)-विषयक है।
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१. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७६१