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________________ चउदसमो उद्देसओ : 'थणिया' चौदहवाँ उद्देशक : स्तनितकुमार सम्बन्धी वक्तव्यता स्तनितकुमारों में आहारादि की समानता-असमानता का निरूपण १. एवं थणियकुमारा वि। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति। ॥सोलसमे सए : चउदसमो उद्देसओ समत्तो॥१६-१४॥ ॥सोलसमं सयं समत्तं॥ . [१] (जिस प्रकार द्वीपकुमारों के विषय में कहा गया था), उसी प्रकार स्तनितकुमारों के (आहार, उच्छ्वास-नि:श्वास, लेश्या आदि के) विषय में भी कहना चाहिए। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यों कह कर (गौतम स्वामी) यावत् विचरते विवेचन–चार उद्देशक : समान वक्तव्यता का अतिदेश–ग्यारहवें से लेकर चौदहवें उद्देशक तक सभी वक्तव्यताएं समान हैं, केवल उन देवों के नामों में अन्तर है। सभी भवनपति जाति के देव हैं। ॥ सोलहवां शतक : चौदहवाँ उद्देशक समाप्त॥ ॥ सोलहवां शतक सम्पूर्ण॥ ०००
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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