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________________ चौदहवाँ शतक : उद्देशक - ८ ४१७ गोयमा ! असंखेजाइं जोयणाइं जाव' अंतरे पण्णत्ते । [६ प्र.] भगवन् ! ज्योतिष्कविमानों और सौधर्म - ईशानकल्पों का आबाधा - अन्तर कितना कहा गया है ? [६ उ. ] गौतम ! इनका अबाधान्तर यावत् असंख्यात योजन कहा गया है। ७. सोहम्मीसाणाणं भंते ! सणंकुमार - माहिंदाण य केवतियं० ? एवं चेव । [७ प्र.] भगवन् ! सौधर्म - ईशानकल्प और सनत्कुमार- माहेन्द्रकल्पों का कितना अबाधान्तर कहा गया है ? [७ उ.] गौतम ! इसी प्रकार (पूर्ववत्) जानना चाहिए । ८. सणकुमार - माहिंदाणं भंते ! बंभलोगस्स य कप्पस्स केवतियं० ? एवं चेव । [८ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार - माहेन्द्रकल्प और ब्रह्मलोककल्प का अबाधान्तर कितना कहा गया है ? [८ उ.] गौतम ! इनका अबाधान्तर भी पूर्ववत् है । ९. बंभलोगस्स णं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवतियं० ? एवं चेव । [९ प्र.] भगवन् ! ब्रह्मलोककल्प और लान्तककल्प के अबाधान्तर के विषय में (पूर्ववत्) प्रश्न । [९ उ.] गौतम ! (इन दोनों का अबाधान्तर पूर्ववत्) इसी प्रकार (समझना चाहिए।) १०. लंतयस्स णं भंते! महासुक्कस्स य कप्पस्स केवतियं० ? एवं चेव । [१० प्र.] भगवन् ! लान्तककल्प और महाशुक्र कल्प का अबाधान्तर कितना है ? [१० उ. ] गौतम ! इसी प्रकार (पूर्ववत्) जानना चाहिए। ११. एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य । १. 'जाव' पद सूचक प्रज्ञापनासूत्रपाठ — "कहि णं भंते ! सोहम्मगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! सोहम्मगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्डुं चंदिम- सूरिय-गह - नक्खत्त - तारारूवाणं बहूणि जोयणसयाणि बहूई सहस्सा बहूई जोयणसतसहस्साइं बहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं सोहम्मे णामं कप्पे पण्णत्ते० " — श्री महावीर जैन विद्यालय द्वारा प्रकाशित 'पण्णवणासुत्तं भाग १' पृ. ७०, सू० १९७ [१] ॥
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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