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चौदहवां शतक : उद्देशक-७
४१५ अनुत्तरौपपातिक का शब्दश: अर्थ—जिनका उपपात—जन्म अनुत्तर शब्दादि विषयों का योग होने से अनुत्तर–सर्वप्रधान—होता है, वे अनुत्तरौपपातिक कहलाते हैं। ____ अनुत्तरौपपातिक देवत्वप्राप्ति की योग्यता-कोई श्रमण निर्ग्रन्थ सुसाधु पष्ठभक्त तप से जितने कर्मों की निर्जरा करता है, उतने कर्म अवशिष्ट रहने पर उस साधु को अनुत्तरौपपातिक देवत्व की प्राप्ति होती है।'
॥चौदहवाँ शतक : सप्तम उद्देशक समाप्त॥
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१. अनुत्तर:-सर्वप्रधानोऽनुत्तरशब्दादिविषययोगात् उपपाता-जन्म अनुत्तरोपपातः, सोऽस्ति येषां तेऽनुत्तरोपपातिकाः।
-भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ६५१ २. वही, अ. वृत्ति, पत्र ६५१