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छठा शतक : उद्देशक-५
गोयमा ! अच्चिमालिम्मि विमाणे०। [३८ प्र.] भगवन् ! आदित्य देव कहाँ रहते हैं ? [३८ उ.] गौतम ! आदित्य देव अर्चिमाली विमान में रहते हैं। ३९. एवं नेयव्वं जाहणुपुव्वीए जाव कहि णं भंते ! रिट्ठा देवा परिवसंति ? गोयमा ! रिट्ठम्मि विमाणे। [३९ प्र.] इस प्रकार अनुक्रम से रिष्ट विमान तक जान लेना चाहिए कि भगवन् ! रिष्ट देव कहाँ रहते
[३९ उ.] गौतम ! रिष्ट देव रिष्ट विमान में रहते हैं। ४०.[१] सारस्सय-मादिच्चाणं भंते ! देवाणं कति देवा, कति देवसता पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्त देवा, सत्त देवसया परिवारो पण्णत्तो।
[४०-१ प्र.] भगवन् ! सारस्वत और आदित्य, इन दो देवों के कितने देव हैं, और कितने सौ देवों का परिवार कहा गया है?
[४०-१ उ.] गौतम ! सारस्वत और आदित्य, इन दो देवों के सात देव (स्वामी-अधिपति) हैं और इनके ७०० देवों का परिवार है।
[२] वण्ही-वरुणाणं देवाणं चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। [४०-२] वह्नि और वरुण, इन दो देवों के १४ देव स्वामी हैं और १४ हजार देवों का परिवार कहा गया
[३] गद्दतोय -तुसियाणं देवाणं सत्त देवा, सत्त देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। [४०-३] गर्दतोय और तुषित देवों के ७ देव स्वामी हैं और ७ हजार देवों का परिवार कहा गया है। [४] अवसेसाणं नव देवा, नव देवसया परिवारो पण्णत्ता।
पढमजुगलम्मि सत्त उ सयाणि बीयम्मि चोद्दस सहस्सा।
ततिए सत्त सहस्सा नव चेव सयाणि सेसेसु ॥३॥ [४०-४] शेष (अव्याबाध, आग्नेय और रिष्ट, इन) तीनों देवों के नौ देव स्वामी और ९०० देवों का परिवार कहा गया है।
(गाथार्थ-) प्रथम युगल में ७००, दूसरे युगल में १४,००० देवों का परिवार, तीसरे युगल में ७,००० देवों का परिवार और शेष तीन देवों के ९०० देवों का परिवार है।
४१.[१] लोगंतिगविमाणा णं भंते ! किंपतिहिता पण्णत्ता ? गोयमा ! वाउपतिट्ठिया पण्णत्ता।