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________________ ६३२ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [२१-२] इसी प्रकार माणिभद्र (यक्षेन्द्र) के विषय में भी जान लेना चाहिए। २२.[१] भीमस्स णं भंते! रक्खसिंदस्स० पुच्छा। अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पउमा पउमावती कणगा रयणप्पभा। तत्थ णं एगमेगा० सेसं जहा कालस्स। [२२-१ प्र.] भगवन् ! राक्षसेन्द्र राक्षसराज भीम के कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? [२२-१ उ.] आर्यो! चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथा—पद्मा, पद्मावती, कनका और रत्नप्रभा। प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। [२] एवं महाभीमस्स वि। [२२-२] इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जानना चाहिए। २३.[१] किनरस्स णं भंते ! • पुच्छा। अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–वडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पिया। तत्थ ण सेसं तं चेव। [२३-१ प्र.] भगवन् ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? [२३-१ उ.] आर्यो! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा १. अवतंसा, २. केतुमती, ३. रतिसेना और ४. रतिप्रिया। प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार के लिए पूर्ववत् जानना चाहिए। [२] एवं किंपुरिस्स वि। [२३-२] इसी प्रकार किम्पुरुषेन्द्र के विषय में कहना चाहिए। २४.[१] सप्पुरिस्स णं. पुच्छा। अन्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रोहिणी नवमिया हिरी पुष्फवती। तत्थ णं एगमेगा० सेसं तं चेव। [२४-१ प्र.] भगवन् ! सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? [२४-१ उ.] आर्यो! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा १ रोहिणी, २. नवमिका, ३. ही और ४. पुष्पवती। इनके देवी-परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना चाहिए। [२] एवं महापुरिस्स वि। [२४-२] इसी प्रकार महापुरुषेन्द्र के विषय में भी समझ लेना चाहिए। २५.[१] अतिकायस्स णं भंते ! • पुच्छा।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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