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The sixth sutra of the twelfth Samavaya - 'Mandarassa nam pavvayassa.....' - also states in Jambudvipaprajnapti:20 that the diameter of the base of the Meru mountain's peak is twelve yojanas.
The seventh sutra of the twelfth Samavaya - 'Jambudīvassa nam dīvassa.....' - also states in Jambudvipaprajnapti:21 that the diameter of the base of the Jambudvipa's vedika is twelve yojanas.
The eighth sutra of the thirteenth Samavaya - 'Sūramandalaṁ jojaneṇaṁ....' - also states in Jambudvipaprajnapti:22 that the size of the sun's disc is thirteen parts less than sixty-one parts of a yojana.
The sixth sutra of the fourteenth Samavaya - 'Bharaheravayāo naṁ jīvāo.......' - also states in Jambudvipaprajnapti:23 that the length of the jiva of Bharat and Airavata is fourteen thousand four hundred seventy-seven, six parts out of nineteen parts of a yojana.
The seventh sutra of the fourteenth Samavaya - 'Egamegassa naṁ ranno......' - also states in Jambudvipaprajnapti:24 that each Chakravarti has fourteen jewels.
The eighth sutra of the fourteenth Samavaya - 'Jambudīve naṁ dīve.......' - also states in Jambudvipaprajnapti:25 that fourteen large rivers, including Ganga, Sindhu, Rohita, Rohitaansha, etc., flow from east to west and meet the salt sea.
The third sutra of the sixteenth Samavaya - 'Mandarassa naṁ pavvayassa.....' - also states in Jambudvipaprajnapti:26 that the Meru mountain has sixteen names.
The fifth sutra of the eighteenth Samavaya - 'Bamhiye naṁ livīe.....' - also states in Jambudvipaprajnapti:27 that there are eighteen types of Brahmi script.
The second sutra of the nineteenth Samavaya - 'Jambudīve naṁ dīve sūriā.......' - also states in Jambudvipaprajnapti:28 that the sun in Jambudvipa reaches a height and depth of nineteen hundred yojanas.
The seventh sutra of the twentieth Samavaya - 'Ussappini-Osappinimandale......' - also states in Jambudvipaprajnapti:29 that the Kalachakra is twenty koṭakoṭi sāgaropam.
The third sutra of the twenty-first Samavaya - 'Ekamekkāe naṁ Osappiniye......' - also states in Jambudvipaprajnapti:30 that each Avasarpini has a fifth Dushama and a sixth Dushama-Dushama of twenty-one thousand years each.
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बारहवें समवाय का छठा सूत्र-'मंदरस्स णं पव्वयस्स.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति:२० में भी मेरु पर्वत की चूलिका के मूल का विष्कम्भ बारह योजन बताया है।
बारहवें समवाय का सातवाँ सूत्र-'जम्बूदीवस्स णं दीवस्स.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति:२१ में भी जम्बूद्वीप की वेदिका के मूल का विष्कम्भ बारह योजन का बताया है।
तेरहवें समवाय का आठवाँ सूत्र-'सूरमंडलं जोयणेणं....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२२ में भी एक योजन के इकसठ भागों में से तेरह भाग कम करने पर जितना रहे उतना सूर्यमंडल है।
चौदहवें समवाय का छठा सूत्र-भरहेरवयाओ णं जीवाओ.......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२३ में भी भरत और ऐरवत की जीवा का आयाम चौदह हजार चार सौ इकहत्तर, एक योजन के उन्नीस भागों में से छह भाग का कहा है।
___ चौदहवें समवाय का सातवाँ सूत्र-'एगमेगस्स णं रन्नो......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति:२४ में प्रत्येक चक्रवर्ती के चौदह रत्न बताये हैं।
चौदहवें समवाय का आठवां सूत्र-'जंबुद्दीवे णं दीवे.......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२५ में भी कहा है कि गंगा, सिन्धु, रोहिता, रोहितांशा आदि चौदह मोटी नदियां पूर्व पश्चिम से लवणसमुद्र में मिलती है।
सोलहवें समवाय का तीसरा सूत्र– 'मंदरस्स णं पव्वयस्स.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२६ में भी मेरु पर्वत के सोलह नाम बताये हैं।
अठारहवें समवाय का पांचवां सूत्र-- 'बंभीए णं लिवीए.....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति५२७ में भी ब्राह्मी लिपि के अठारह प्रकार बताये हैं।
उन्नीसवें समवाय का दूसरा सूत्र- 'जम्बूद्दीवे णं दीवे सूरिआ.......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२८ में 'जम्बूद्वीप में सूर्य ऊंचे तथा नीचे उन्नीस सौ योजन ताप पहुंचाते हैं।'
बीसवें समवाय का सातवां सूत्र-'उस्सप्पिणि-ओसप्पिणिमंडले......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६२९ में भी कालचक्र को बीस कोटाकोटी सागरोपम का बताया है।
इक्कीसवें समवाय का तीसरा सूत्र-'एकमेक्काए णं ओसप्पिणीए......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति६३० में भी प्रत्येक अवसर्पिणी का पांचवाँ दुषमा और छठा दुषम-दुषमा आरा इक्कीस-इक्कीस हजार वर्ष का कहा है। ६२०. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ४, सूत्र १०६ ६२१. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ४, सूत्र १२५ ६२२. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ७, सूत्र १३० ६२३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. १, सूत्र १६ ६२४. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ३, सूत्र ६८ ६२५. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ६, सूत्र १२५ ६२६. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ४, सूत्र १०९ ६२७.
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. २, सूत्र ३७
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. ७, सूत्र १३९ ६२९.
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. २, सूत्र १९ ६३०. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष. २, सूत्र ३५-३६
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