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[Samvayanga Sutra] Gautama! There are three Vedas - Striveda, Purushaveda and Napumsakaved.
626 - "Bhagavan! Are the Naraka beings Striveda, Purushaveda or Napumsakaved?"
"Gautama! Naraka beings are neither Striveda nor Purushaveda, but Napumsakaved."
627 - "Bhagavan! Are the Asurakumara Devas Striveda, Purushaveda or Napumsakaved?"
"Gautama! Asurakumara Devas are Striveda and Purushaveda, but not Napumsakaved. The same should be known for the Thanitkumara Devas."
628 - "The Prithvikaayik, Apkaayik, Tejaskaayik, Vaayukaayik, Vanaspatikaayik, Dwiindriya, Triindriya, Chaturindriya, Sammuchchhima Panchaindriya Tiryanch and Sammuchchhima Manushya are Napumsakaved. The Garbhopakrantik Manushya and Garbhopakrantik Tiryanch are all three Vedas.
Just as the Asurakumara Devas are Striveda and Purushaveda, so are the Vanamantara, Jyotishka Vaimanika Devas."
(It is noteworthy that the Graiveyak and Anuttara Vimana Vaasi Devas and the Laukantika Devas are only Purushavedi.)
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[समवायाङ्गसूत्र गौतम ! वेद तीन हैं - स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद।
६२६ –नेरइया णं भंते! किं इत्थीवेया पुरिसवेया णपुंसगवेया पन्नत्ता? गोयमा! णो इत्थीवेया, णो पुंवेया, णपुंसगवेया पण्णत्ता।
भगवन् ! नारक जीव क्या स्त्रीवेद वाले हैं, पुरुषवेद वाले हैं अथवा नपुंसकवेद वाले हैं? गौतम! नारक जीव न स्त्रीवेद वाले हैं, न पुरुषवेद वाले हैं, किन्तु नपुंसकवेद वाले होते हैं।
६२७-असुरकुमारा णं भंते! किं इत्थीवेया पुरिसवेया णपुंसगवेया? गोयमा! इत्थीवेया, पुरिसवेया। णो णपुंसगवेया। जाव थणियकुमारा।
भगवन् ! असुरकुमार देव स्त्रीवेद वाले हैं, पुरुषवेद वाले हैं, अथवा नपुंसकवेद वाले हैं?
गौतम ! असुरकुमार देव स्त्रीवेद वाले हैं, पुरुषवेद वाले हैं, किन्तु नपुंसकवेद वाले नहीं होते हैं। इसी प्रकार स्तनितकुमार देवों तक जानना चाहिए।
६२८-पुढवी आऊ तेऊ वाऊ वणस्सई वि-ति-चउरिदिय-समुच्छिमपंचिंदिय-तिरिक्खसंमुच्छिममणुस्सा णपुंसगवेया। गब्भवक्कंतियमणुस्सा पंचिंदियतिरिया य तिवेया। जहा असुरकुमारा, तहा वाणमंतरा जोइसिय-वेमाणिया वि।
पृथिवीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, सम्मूच्छिमपंचेन्द्रिय तिर्यंच और सम्मूच्छिम मनुष्य नपुंसक वेदवाले होते हैं । गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य और गर्भोपक्रान्तिक तिर्यंच तीनों वेदों वाले होते हैं।
जैसे- असुकुमार देव स्त्रीवेद और पुरुषवेद वाले होते हैं, उसी प्रकार वानमन्तर, ज्योतिष्क वैमानिक देव भी स्त्रीवेद और पुरुषवेद वाले होते हैं।
(विशेष बात यह है कि ग्रैवेयक और अनुत्तर विमानवासी देव तथा लौकान्तिक देव केवल पुरुषवेदी होते हैं।)
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