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________________ २० स्थानाङ्गसूत्रम् देव-पद २५०- अणुत्तरोववाइया णं देवा ‘एगं रयणिं' उड्डे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। अनुत्तरोपपातिक देवों की ऊंचाई एक हाथ की कही गई है (२५०)। नक्षत्र-पद २५१- अहाणक्खत्ते एगतारे पण्णत्ते। २५२- चित्ताणक्खत्ते एगतारे पण्णत्ते। २५३- सातिणक्खते एगतारे पण्णत्ते। आर्द्रा नक्षत्र एक तारा वाला है (२५१)। चित्रा नक्षत्र एक तारा वाला है (२५२)। स्वाति नक्षत्र एक तारा वाला है (२५३)। पुद्गल-पद २५४- एगपदेसोगाढा पोग्गला अणंता पण्णत्ता। २५५ – एवं एगसमयठितिया पोग्गला अणंता पण्णत्ता। २५६ – एगगुणकालगा पोग्गला अणंता पण्णत्ता जाव' एगगुणलुक्खा पोग्गला अणता पण्णत्ता। एक प्रदेशावगाढ पुद्गल अनन्त हैं (२५४)। एक समय की स्थिति वाले पुद्गल अनन्त हैं (२५५)। एक गुण काले पुद्गल अनन्त हैं। इसी प्रकार शेष वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्शों के एक गुण वाले पुद्गल अनन्त-अनन्त कहे गये हैं (२५६)। ॥ प्रथम स्थान समाप्त ॥
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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