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________________ दशम स्थान ६८१ १. श्रोत्रेन्द्रिय-असंवर, २. चक्षुरिन्द्रिय-असंवर, ३. घ्राणेन्द्रिय-असंवर, ४. रसनेन्द्रिय-असंवर, ५. स्पर्शनेन्द्रियअसंवर, ६. मन-असंवर, ७. वचन-असंवर, ८. काय-असंवर, ९. उपकरण-असंवर, १०. सूचीकुशाग्र असंवर (११)। अहंकार-सूत्र १२- दसहिं ठाणेहिं अहमंतीति थंभिज्जा, तं जहा—जातिमएण वा, कुलमएण वा, (बलमएण वा, रूवमएण वा, तवमएण वा, सुतमएण वा, लाभमएण वा), इस्सरियमएण वा, णागसुवण्णा वा मे अंतियं हव्वमागच्छंति, पुरिसधम्मतो वा मे उत्तरिए आहोधिए णाणदंसणे समुप्पण्णे। दश कारणों से पुरुष अपने आपको 'मैं ही सबसे श्रेष्ठ हूँ' ऐसा मानकर अभिमान करता है, जैसे१. मेरी जाति सबसे श्रेष्ठ है, इस प्रकार जाति के मद से। २. मेरा कुल सब से श्रेष्ठ है, इस प्रकार कुल के मद से। ३. मैं सबसे अधिक बलवान् हूं, इस प्रकार बल के मद से। ४. मैं सबसे अधिक रूपवान् हूं, इस प्रकार रूप के मद से। ५. मेरा तप सबसे उत्कृष्ट है, इस प्रकार तप के मद से। ६. मैं श्रत-पारंगत हूं, इस प्रकार शास्त्रज्ञान के मद से। ७. मेरे पास सबसे अधिक लाभ के साधन हैं, इस प्रकार लाभ के मद से। ८. मेरा ऐश्वर्य सबसे बढ़ा-चढ़ा है, इस प्रकार ऐश्वर्य के मद से। ९. मेरे पास नागकुमार या सुपर्णकुमार देव दौड़कर आते हैं, इस प्रकार के भाव से। १०. मुझे सामान्य जनों की अपेक्षा विशिष्ट अवधिज्ञज्ञन और अवधिदर्शन उत्पन्न हुआ है, इस प्रकार के भाव से (१२)। समाधि-असमाधि-सूत्र - १३- दसविधा समाधी पण्णत्ता, तं जहा—पाणातिवायवेरमणे, मुसावायवेरमणे, अदिण्णादाणवेरमणे, मेहुणवेरमणे, परिग्गहवेरमणे, इरियासमिती, भासासमिती, एसणासमिती, आयाण-भंडमत्त-णिक्खेवणासमिती, उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणग-जल्ल-पारिट्ठावणिया समिती। समाधि दश प्रकार की कही गई है, जैसे१. प्राणातिपात-विरमण, २. मृषावाद-विरमण, ३. अदत्तादान-विरमण, ४. मैथुन-विरमण, ५. परिग्रहविरमण, ६. ईर्यासमिति, ७. भाषासमिति, ८. एषणासमिति, ९. आदान निक्षेपण (पात्रनिक्षेपण) समिति, १०. उच्चार-प्रस्रवण-श्लेष्म-सिंघाण-जल्ल-परिष्ठापना समिति (१३)। १४- दसविधा असमाधी पण्णत्ता, तं जहा—पाणातिवाते (मुसावाए, अदिण्णादाणे, मेहुणे), परिग्गहे, इरियाऽसमिती, (भासाऽसमिती, एसणाऽसमिती, आयाण-भंड-मत्त-णिक्खेवणाऽसमिती), उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणग-जल्ल-पारिट्ठावणियाऽसमिती।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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