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________________ ६६२ स्थानाङ्गसूत्रम् ४८- जंबुद्दीवे दीवे सुकच्छे दीहवेयड्डे णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्धे सुकच्छे खंडग, माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा । सुकच्छे वेसमणे या, सुकच्छे कूडाण णामाई ॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सुकच्छवर्ती दीर्घ वैताढ्य पर्वत के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं, जैसे१. सिद्धायतन कूट, २. सुकच्छ कूट, ३. खण्डकप्रपातगुफा कूट, ४. माणिभद्र कूट, ५. वैताढ्य कूट, ६. पूर्णभद्र कूट, ७. तमिस्रगुफा कूट, ८. सुकच्छ कूट, ९. वैश्रमण कूट (४८)। . ४९- एवं जाव पोक्खलावइम्मि दीहवेयड्डे। ___ इसी प्रकार महाकच्छ, कच्छकावती, आवर्त, मंगलावर्त, पुष्कल और पुष्कलावती विजय में विद्यमान दीर्घ वैताढ्यों के ऊपर नौ कूट जानना चाहिए (४९)। ५०— एवं वच्छे दीहवेयड्डे। इसी प्रकार वत्स विजय में विद्यमान दीर्घ वैताढ्य पर नौ कूट कहे गये हैं (५०)। ५१- एवं जाव मंगलावतिम्मि दीहवेयड्डे। ___ इसी प्रकार सुवत्स, महावत्स, वत्सकावती, रम्य, रम्यक, रमणीय और मंगलावती विजयों में विद्यमान दीर्घ वैताढ्यों के ऊपर नौ कूट जानना चाहिए (५१)। ५२- जंबुद्दीवे दीवे विज्जुपव्वते णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्धे अ विज्जुणामे, देवकुरा पम्ह कणग सोवत्थी । . सीओदा य सयजले, हरिकूडे चेव बोद्धव्वे ॥ १॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के विद्युत्प्रभ वक्षस्कार पर्वत के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं, जैसे१. सिद्धायतन कूट, २. विद्युत्प्रभ कूट, ३. देवकुराकूट, ४. पक्ष्मकूट, ५. कनककूट, ६. स्वस्तिककूट, ७. सीतोदा कूट, ८. शतज्वल कूट, ९. हरिकूट (५२)। ५३- जंबुद्दीवे दीवे पम्हे दीहवेयड्ढे णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्धे पम्हे खंडग, माणी वेयड्ड ( पुण्ण तिमिसगुहा । पम्हे वेसमणे या, पम्हे कूडाण णामाइं) ॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पद्मवर्ती दीर्घ वैताढ्य के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं, जैसे१. सिद्धायतन कूट, २. पक्ष्म कूट, ३. खण्डकप्रपातगुफा कूट,४. माणिभद्र कूट, ५. वैताढ्य कूट, ६. पूर्णभद्र कूट, ७. तमिस्रगुफा कूट, ८. पक्ष्म कूट, ९. वैश्रमण कूट (५३)। ५४— एवं चेव जाव सलिलावतिम्मि दीहवेयड्डे। इसी प्रकार सुपक्ष्म, महापक्ष्म, पक्ष्मकावती, शंख, नलिन, कुमुद और सलिलावती में विद्यमान दीर्घ वैताढ्य के ऊपर नौ-नौ कूट जानना चाहिए (५४)।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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