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नवम स्थान
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२०- जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए णव बलदेव-वासुदेवपितरो भविस्संति, णव बलदेव-वासुदेवमायरो भविस्संति। एवं जधा समवाए णिरवसेसं जाव महाभीमसेणे, सुग्गीवे य अपच्छिमे।
एए खलु पडिसत्तू, कित्तिपुरिसाण वासुदेवाणं ।
सव्वे वि चक्कजोही, हम्मेहिती सचक्केहिं ॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी में बलदेव और वासुदेव के नौ माता-पिता होंगे।
इस प्रकार जैसे समवायांग में वर्णन किया गया है, वैसा सर्व वर्णन महाभीमसेन और सुग्रीव तक जानना चाहिए।
वे कीर्तिपुरुष वासुदेवों के प्रतिशत्रु होंगे। वे सब चक्रयोधी होंगे और वे सब अपने ही चक्रों से वासुदेवों के द्वारा मारे जावेंगे (२०)। महानिधि-सूत्र
२१– एगमेगे णं महाणिधी णव-णव जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ते। एक-एक महानिधि नौ-नौ योजन विस्तार वाली कही गई है (२१)।
२२– एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स णव महाणिहिओ [णो ?] पण्णत्ता, तं जहासंग्रहणी-गाथाएं
णेसप्पे पंडुयए, पिंगलए सव्वरयण महापउमे । काले य महाकाले, माणवग, महाणिहि संखे ॥१॥ णेसप्पंमि णिवेसा, गामागर-णगर-पट्टणाणं च ।। दोणमुह-मडंबाणं, खंधाराणं गिहाणं च ॥ २॥ गणियस्स य बीयाणं, माणुम्माणस्स जं पमाणं च । धण्णस्स य बीयाणं, उप्पत्ती पंडुए भणिया ॥ ३॥ सव्वा आभरणविही, पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं । आसाण य हत्थीण य, पिंगलगणिहिम्मि सा भणिया ॥४॥ रयणाई सव्वरयणे, चोइस पवराई चक्कवट्टिस्स । उप्पजंति एगिदियाइं पंचिंदियाइं च ॥५॥ वत्थाण य उप्पत्ती, णिप्फत्ती चेव सव्वभत्तीणं । रंगाण य धोयाण य, सव्वा एसा महापउमे ॥६॥ काले कालण्णाणं, भव्व पुराणं च तीसु वासेसु ।