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________________ ६३३ ८३—– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ दीहवेयड्डा जाव अट्ठ णट्टमालगा देवा, अट्ठ गंगाकुंडा, अट्ठ सिंधुकुंडा, अट्ठ गंगाओ, अट्ठ सिंधूओ, अट्ठ उसभकूडा पव्वता, अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता । अष्टम स्थान जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ दीर्घ वैताढ्य, आठ तमिस्रगुफाएं, आठ खण्डकप्रपात गुफाएं, आठ कृतमालक देव, आठ नृत्यमालक देव, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा, आठ सिन्धु, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं (८३) । ८४ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओयाए महाणदीए उत्तरे णं अट्ठ दीहवयेड्डा जाव अट्ठ णट्टमालगा देवा पण्णत्ता । अट्ठ रत्ताकुंडा, अट्ठ रत्तावतिकुंडा, अट्ठ रत्ताओ, (अट्ठ रत्तावतीओ, अट्ठ उसभकूडा पव्वता ), अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता । जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में आठ दीर्घ वैताढ्य, आठ तमिस्रगुफाएं, आठ खण्डकप्रपात गुफाएं, आठ कृतमालक देव, आठ नृत्यमालक देव, आठ रक्ताकुण्ड, आठ रक्तवतीकुण्ड, आठ रक्ता, आठ रक्तावती, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं (८४)। ८५ - मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोइणाइं विक्खंभेणं पण्णत्ता । मन्दर पर्वत की चूलिका बहुमध्यदेश भाग में आठ योजन चौड़ी है (८५)। धातकीषण्डद्वीप - सूत्र ८६ - धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं धायइरुक्खे अट्ठ जोयणाई उड्डुं उच्चत्तेणं, बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं, साइरेगाइं अट्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं पण्णत्ते । धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में धातकीवृक्ष आठ योजन ऊंचा, बहुमध्यदेश भाग में आठ योजन चौड़ा और सर्व परिमाण में कुछ अधिक आठ योजन विस्तृत कहा गया है (८६) । ८७ एवं धायइरुक्खाओ आढवेत्ता सच्चेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियव्वा जाव मंदरचूलियति । इसी प्रकार धातकीषण्ड के पूर्वार्ध में धातकीवृक्ष से लेकर मन्दरचूलिका तक का सर्व वर्णन जम्बूद्वीप की वक्तव्यता के समान जानना चाहिए (८७) । ८८ - एवं पच्चत्थिमद्धेवि महाधायइरुक्खातो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियति । इसी प्रकार धातकीषण्ड के पश्चिमार्ध में महाधातकी वृक्ष से लेकर मन्दरचूलिका तक का सर्व वर्णन जम्बूद्वीप की वक्तव्यता के समान है (८८) । पुष्करवर - द्वीप - सूत्र ८९ – एवं पुक्खरवरदीवड्डपुरत्थिमद्धेवि पउमरुक्खाओ आढवेत्ता जाव मंदरचूलियति । इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्थ के पूर्वार्ध में पद्मवृक्ष से लेकर मन्दरचूलिका तक का सर्व वर्णन जम्बूद्वीप की
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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