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________________ अष्टम स्थान ५. स्पर्शनेन्द्रिय- असंवर, ६. मन:- असंवर, ७. वचन - असंवर, ८. काय - असंवर (१२) । स्पर्श-सूत्र १३ – अट्ठ फासा पण्णत्ता, तं जहा कक्खडे, मउए, गरुए, लहुए, सीते, उसिणे, णिद्धे, लक्खे | स्पर्श आठ प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. कर्कश, २. मृदु, ३. गुरु, ४. लघु, ५. शीत, ६. उष्ण, ७. स्निग्ध, ८. रूक्ष (१३)। लोकस्थिति-स - सूत्र १४ – अट्ठविधा लोगट्ठिती पण्णत्ता, तं जहा आगासपतिट्ठिते वाते, वातपतिट्ठिते उदही, (उदधिपतिट्ठिता पुढवी, पुढविपतिट्ठिता तसा थावरा पाणा, अजीवा जीवपतिट्ठिता) जीवा कम्मपतिट्ठिता, अजीवा जीवसंगहीता, जीवा कम्मसंगहीता । लोकस्थिति आठ प्रकार की कही गई है, जैसे १. वायु (तनुवात) आकाश पर प्रतिष्ठित है । • २. समुद्र (घनोदधि) वायु पर प्रतिष्ठित है । ३. पृथ्वी समुद्र पर प्रतिष्ठित है। ४. त्रस - स्थावर प्राणी पृथ्वी पर प्रतिष्ठित हैं। ५. अजीव जीव पर प्रतिष्ठित हैं। ६. जीव कर्म पर प्रतिष्ठित हैं । ७. अजीव जीव के द्वारा संगृहीत हैं। ८. जीव कर्म के द्वारा संगृहीत हैं (१४) । ६१७ गणसंपदा - सूत्र १५ - अट्ठविहा गणिसंपया पण्णत्ता, तं जहा— आचारसंपया, सुयसंपया, सरीरसंपया, वयणसंपया, वायणासंपया, मतिसंपया, पओगसंपया, संगहपरिण्णा णाम अट्टमा । गणी (आचार्य) की सम्पदा आठ प्रकार की कही गई है, जैसे— १. आचार - सम्पदा—- संयम की समृद्धि, २. श्रुत - सम्पदा - श्रुतज्ञान की समृद्धि, ३. शरीर-सम्पदा — प्रभावक शरीर - सौन्दर्य, ४. वचन-सम्पदा — वचन- कुशलता, ५. वाचना- सम्पदा— अध्यापन - निपुणता, ६. मति - सम्पदा — बुद्धि की कुशलता, ७. प्रयोग - सम्पदा — वाद- प्रवीणता,
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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