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________________ षष्ठ स्थान १. क्षिप्र - अवग्रहमति — शंख आदि के शब्द को शीघ्र ग्रहण करने वाली मति । २. बहु - अवग्रहमति — शंख आदि अनेक प्रकार के शब्द आदि को ग्रहण करने वाली मति । ३. बहुविध - अवग्रहमति - बहुत प्रकार के बाजों के अनेक प्रकार के शब्द आदि को ग्रहण करने वाली मति । ४. ध्रुव - अवग्रहमति — एक बार ग्रहण की हुई वस्तु पुनः ग्रहण करने पर उसी प्रकार से जानने वाली मति । ५. अनिश्रित- अवग्रहमति — किसी लिंग चिन्ह का आश्रय लिए बिना जानने वाली मति । ६. असंदिग्ध - अवग्रहमति — सन्देह - रहित सामान्य रूप से ग्रहण करने वाली मति (६१) । ६२ – छव्विहा ईहामती पण्णत्ता, तं जहा— खिप्पमीहति, बहुमीहति, ( बहुविधमीहति, धुवमीहति, अणिस्सियमीहति) असंदिद्धमीहति । हाति (अवग्रह से जाने हुए पदार्थ के विशेष जानने की इच्छा) छह प्रकार की कही गई है, जैसे १. क्षिप्र - ईहामति क्षिप्रावग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति । २. बहु - ईहामति — बहु - अवग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति । ३. बहुविध - ईहामति — बहुविध अवग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति । ४. ध्रुव- ईहामति — ध्रुवांवग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति। ५. अनिश्रित - ईहामति — अनिश्रितावग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति । ६. असंदिग्ध - ईहामति — असन्दिग्धावग्रह से गृहीत वस्तु की विशेष जिज्ञासावाली मति (६२) । ५३३ ६३ – छव्विधा अवायमती पण्णत्ता, तं जहा — खिप्पमवेति, (बहुमवेति, बहुविधमवेति, धुवमवेति, अणिस्सियमवेति), असंदिद्धमवेति । अवाय-मति छह प्रकार की कही गई है, जैसे १. क्षिप्रावाय-मति — क्षिप्र ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति । २. बहु - अवायमति — बहु - ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति । ३. बहुविध - अवायमति — बहुविध ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति । ४. ध्रुव - अवायमति — ध्रुव - ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति । ५. अनिश्रित - अवायमति — अनिश्रित ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति । ६. असन्दिग्ध- अवायमति — असन्दिग्ध ईहा के विषयभूत पदार्थ का निश्चय करने वाली मति (६३)। ६४ – छव्विहा धारणा [मती ? ] पण्णत्ता तं जहा— बहुं धरेति, बहुविहं धरेति, पोराणं धरंति, दुद्धरं धरेति, अणिस्सितं धरेति, असंदिद्धं धरेति । धारण (कालान्तर में याद रखने वाली ) मति छह प्रकार की कही गई है, जैसे १. बहु- धारणा — बहु अवाय से निर्णीत पदार्थ की धारणा रखने वाली मति । २. बहुविध - धारणामति—— बहुविध अवाय से निर्णीत पदार्थ की धारणा रखने वाली मति । ३. पुराण- धारणामति — पुराने पदार्थ की धारणा रखने वाली मति । ?.
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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