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पंचम स्थान—प्रथम उद्देश
५. सहेतुक अज्ञानमरण से मरता है (७६)।
७७ – पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा— हेउं जाणइ, जाव (हेउं पासइ, हेउं बुज्झइ, हेउं अभिगच्छइ ), हेउं छउमत्थमरणं मरति ।
पुन: पांच हेतु कहे गये हैं, जैसे—
१. हेतु को (सम्यक् ) जानता है।
२. हेतु को (सम्यक् ) देखता है।
३. हेतु की (सम्यक् ) श्रद्धा करता
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४. हेतु को (सम्यक् ) प्राप्त करता है ।
५. हेतु - पूर्वक छद्मस्थमरण मरता है (७७)।
७८— पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा— हेउणा जाणइ जाव (हेउणा पासइ, हेउणा बुज्झइ, हेउणा अभिगच्छइ), हेउणा छउमत्थमरणं मरइ ।
पुनः पांच हेतु कहे गये हैं, जैसे
१. हेतु से (सम्यक् ) जानता है। २. हेतु से (सम्यक् ) देखता है ।
३. हेतु से (सम्यक् ) श्रद्धा रखता है ।
४. हेतु से (सम्यक् ) प्राप्त करता 1
५.
. हेतु से ( सम्यक् ) छद्मस्थमरण मरता है (७८)।
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अहेतु सूत्र
७९— पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा – अहेउं ण जाणति, जाव (अहेउं ण पासति, अहेउं ण बुज्झति, अहेउं णाभिगच्छति ), अहेउं छउमत्थमरणं मरति ।
पांच अहेतु कहे गये हैं, जैसे
१. अहेतु को नहीं जानता है। २. अहेतु को नहीं देखता है।
३. अहेतु की श्रद्धा नहीं करता
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४. अहेतु को प्राप्त नहीं करता है ।
५. अहेतुक छद्मस्थमरण से मरता है (७९)।
८०– पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा— अहेउणा ण जाणति, जाव (अहेउणा ण पासति, अहेउणा ण बुज्झति, अहेउणा णाभिगच्छति), अहेउणा छउमत्थमरणं मरति ।
पुनः पांच अहेतु कहे गये हैं, जैसे
१. अहेतु से नहीं जानता है।