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चतुर्थ स्थान- द्वितीय उद्देश
४. रामरक्षिता अग्रमहिषी की राजधानी देवकुरा (३४५) ।
३४६- तत्थ णं जे से दाहिणपुरथिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ, तं जहासमणा, सोमणसा, अच्चिमाली, मणोरमा। पउमाए, सिवाए, सतीए, अंजूए। ____ उन चारों रतिकरों में जो दक्षिण-पूर्व दिशा का रतिकर पर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में देवराज शक्र देवेन्द्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप प्रमाणवाली चार राजधानियां कही गई हैं, जैसे
१. पद्मा अग्रमहिषी की राजधानी समना। २. शिवा अग्रमहिषी की राजधानी सौमनसा। ३. शची अग्रमहिषी की राजधानी अर्चिमालिनी। ४. अंजू अग्रमहिषी की राजधानी मनोरमा (३४६)।
३४७- तत्थ णं जे से दाहिणपच्चथिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—भूता, भूतवडेंसा, गोथूभा, सुदंसणा। अमलाए, अच्छराए, णवमियाए, रोहिणीए।
उन चारों रतिकरों में जो दक्षिण-पश्चिम दिशा का रतिकर पर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में देवराज शक्र देवेन्द्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप प्रमाणवाली चार राजधानियां कही गई हैं, जैसे
१. अमला अग्रमहिषी की राजधानी भूता। २. अप्सरा अग्रमहिषी की राजधानी भूतावतंसा। ३. नवमिका अग्रमहिषी की राजधानी गोस्तूपा। ४. रोहिणी अग्रमहिषी की राजधानी सुदर्शना (३४७)।
३४८- तत्थ णं जे से उत्तरपच्चस्थिमिल्ले रतिकर पव्वते, तस्स णं चउद्दिसिमीसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा–रयणा, रतणुच्चया, सव्वरतणा, रतणसंचया। वसूए, वसुगुत्ताए, वसुमित्ताए, वसुंधराए।
उन चारों रतिकरों में जो उत्तर-पश्चिम दिशा का रतिकर पर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में देवराज ईशान देवेन्द्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप प्रमाणवाली चार राजधानियां कही गई हैं, जैसे
१. वसु अग्रमहिषी की राजधानी रत्ना। २. वसुगुप्ता अग्रमहिषी की राजधानी रत्नोच्चया। ३. वसुमित्रा अग्रमहिषी की राजधानी सर्वरत्ना।
४. वसुन्धरा अग्रमहिषी की राजधानी रत्नसंचया (३४८)। सत्य-सूत्र
३४९-- चउव्विहे सच्चे पण्णत्ते, तं जहा—णामसच्चे, ठवणसच्चे, दव्वसच्चे, भावसच्चे।