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स्थानाङ्गसूत्रम्
३. मृग- हरिण के समान छोटे शरीर और भीरुतावाला। ४. संकीर्ण- उक्त तीनों जाति के हाथियों के मिले हुए गुणवाला। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कह गये हैं। जैसे— १. भद्रपुरुष- धैर्य-वीर्यादि उत्कृष्ट गुणों की प्रकर्षतावाला। २. मन्दपुरुष- धैर्य-वीर्यादि गुणों की मन्दतावाला। ३. मृगपुरुष- छोटे शरीरवाला, भीरु स्वभाववाला। ४. संकीर्णपुरुष– उक्त तीनों जाति के पुरुषों के मिले हुए गुणवाला (२३६)।
२३७– चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा भद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—भद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिण्णमणे।
पुनः हाथी चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. भद्र और भद्रमन- कोई हाथी जाति से भद्र होता है और भद्र मनवाला (धीर) भी होता है। २. भद्र और मन्दमन- कोई हाथी जाति से भद्र, किन्तु मन्द मनवाला (अत्यन्तं धीर नहीं) होता है। ३. भद्र और मृगमन- कोई हाथी जाति से भद्र, किन्तु मृग मनवाला (भीरु) होता है। ४. भद्र और संकीर्णमन—कोई हाथी जाति से भद्र, किन्तु संकीर्ण मनवाला होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. भद्र और भद्रमन- कोई पुरुष स्वभाव से भद्र और भद्र मनवाला होता है। २. भद्र और मन्दमन— कोई पुरुष स्वभाव से भद्र किन्तु मन्द मनवाला होता है। ३. भद्र और मृगमन– कोई पुरुष स्वभाव से भद्र, किन्तु मृग मनवाला होता है। ४. भद्र और संकीर्णमन— कोई पुरुष स्वभाव से भद्र, किन्तु संकीर्ण मनवाला होता है (२३७)।
२३८– चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा—मंदे णाममेगे भद्दमणे, मंदे णाममेगे मंदमणे, मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिण्णमणे।
___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-मंदे णाममेगे भद्दमणे, मंदे णाममेगे मंदमणे, मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिण्णमणे।
पुनः हाथी चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. मन्द और भद्रमन- कोई हाथी जाति से मन्द होता है, किन्तु भद्र मनवाला होता है। २. मन्द और मन्दमन- कोई हाथी जाति से मन्द और मन्द मनवाला होता है। ३. मन्द और मृगमन-कोई हाथी जाति से मन्द और मृग मनवाला होता है। ४. मन्द और संकीर्णमन—कोई हाथी जाति से मन्द और संकीर्ण मनवाला होता है।