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________________ २४६ स्थानाङ्गसूत्रम् १६२– एवं पडिरूवस्सवि। इसी प्रकार प्रतिरूप की भी चार अग्रमहिषिया कही गई हैं (१६२)। १६३– पुण्णभद्दस्स णं जक्खिदस्स जक्खरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहापुण्णा, बहुपुण्णिता, उत्तमा, तारगा। यक्षराज यक्षेन्द्र पूर्णभद्र की चार अग्रमहिषिया कही गई हैं। जैसे— १. पूर्णा, २. बहुपूर्णिका, ३. उत्तमा, ४. तारका (१६३)। १६४ - एवं माणिभद्दस्सवि। इसी प्रकार माणिभद्र की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१६४)। १६५- भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहापउमा, वसुमती, कणगा, रतणप्पभा। राक्षसराज राक्षसेन्द्र भीम की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. पद्मा, २. वसुमती, ३. कनका, ४. रत्नप्रभा (१६५)। १६६- एवं महाभीमस्सवि। इसी प्रकार महाभीम की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१६६)। १६७– किण्णरस्स णं किण्णरिदस्स [किण्णररण्णो ] चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा–वडेंसा, केतुमती, रतीसेणा, रतिप्पभा। किन्नरराज किन्नरेन्द्र किन्नर की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. अवतंसा, २. केतुमती, ३. रतिसेना, ४. रतिप्रभा (१६७)। १६८– एवं किंपुरिसस्सवि। इसी प्रकार किंपुरुष की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१६८)। १६९- सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स [ किंपुरिसरण्णो ?] चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा–रोहिणी, णवमिता, हिरी, पुप्फवती। किंपुरुषराज किंपुरुषेन्द्र सत्पुरुष की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. रोहिणी, २. नवमिता, ३. ह्री, ४. पुष्पवती (१६९)। १७०— एवं महापुरिसस्सवि। इसी प्रकार महापुरुष की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१७०) । १७१– अतिकायस्स णं महोरगिंदस्स [महोरगरण्णो ?] चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा भुयगा, भूयगावती, महाकच्छा, फुडा।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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