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स्थानाङ्गसूत्रम्
३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध पराक्रम वाला होता है।
४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध पराक्रम वाला होता है (३३)। सुत-सूत्र
३४- चत्तारि सुता पण्णत्ता, तं जहा—अतिजाते, अणुजाते, अवजाते, कुलिंगाले। सुत (पुत्र) चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई सुत अतिजात— पिता से भी अधिक समृद्ध और श्रेष्ठ होता है। २. कोई सुत अनुजात- पिता के समान समृद्धिवाला होता है। ३. कोई सुत अपजात—पिता से हीन समृद्धि वाला होता है।
४. कोई सुत कुलाङ्गार- कुल में अंगार के समान-कुल को दूषित करने वाला होता है (३४)। सत्य-असत्य सूत्र
३५- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णाम एगे सच्चे, सच्चे णामं एगे असच्चे, असच्चे णामं एगे सच्चे, असच्चे णामं एगे असच्चे। एवं परिणते जाव परक्कमे।
परुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष पहले भी सत्य (वादी) और पीछे भी सत्य (वादी) होता है। २. कोई पुरुष पहले सत्य (वादी) किन्तु पीछे असत्य (वादी) होता है। ३. कोई पुरुष पहले असत्य (वादी) किन्तु पीछे सत्य (वादी) होता है। ४. कोई पुरुष पहले भी असत्य (वादी) और पीछे भी असत्य (वादी) होता है (३५)।
३६- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णाम एगे सच्चपरिणते, सच्चे णामं एगे असच्चपरिणते, असच्चे णामं एगे सच्चपरिणते, असच्चे णामं एगे असच्चपरिणते।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य (सत्यवादी-प्रतिज्ञापालक) और सत्य-परिणत होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य-परिणत होता है। ३. कोई पुरुष असत्य (असत्यभाषी) किन्तु सत्य-परिणत होता है। ४. कोई पुरुष असत्य और असत्य-परिणत होता है (३६)।
३७– चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णामं एगे सच्चरूवे, सच्चे णाम एगे असच्चरूवे, असच्चे णामं एगे सच्चरूवे, असच्चे णाम एगे असच्चरूवे।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य रूपवाला होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य रूपवाला होता है। ३. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य रूपवाला होता है।