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स्थानाङ्गसूत्रम्
२६ – चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, सुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे ।
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एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, सुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे ।
पुनः वस्त्र चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई वस्त्र प्रकृति से शुद्ध होता है और शुद्ध रूपवाला होता है। २. कोई वस्त्र प्रकृति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध रूपवाला होता है। ३. कोई वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध रूपवाला होता है। ४. कोई वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूपवाला होता है।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. कोई पुरुष प्रकृति से शुद्ध होता है और शुद्ध रूपवाला होता है।
२. कोई पुरुष प्रकृति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध रूपवाला होता है ।
३.
. कोई पुरुष प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध रूपवाला होता है।
४. कोई पुरुष प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूपवाला होता है (२६) ।
२७- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धमणे, [ सुद्धे णामं एगे असुद्धमणे, असुद्धे णामं एगे सुद्धमणे, असुद्धे णामं एगे असुद्धमणे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध मनवाला होता है।
२. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध मनवाला होता है।
३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध मनवाला होता है।
४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध मनवाला होता है (२७) ।
२८ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— सुद्धे णामं एगे सुद्धसंकप्पे, सुद्धे णामं एगे
असुद्ध कप्पे, असुद्धे णामं एगे सुद्धसंकप्पे, असुद्धे णामं एगे असुद्धसंकप्पे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध संकल्प वाला होता है।
२. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध संकल्प वाला होता है।
३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध संकल्प वाला होता है।
४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध संकल्प वाला होता है (२८) ।
२९ – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धपणे, सुद्धे णामं एगे असुद्धपणे, असुद्धे णामं एगे सुद्धपणे, असुद्धे णामं एगे असुद्धपणे ।