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चतुर्थ स्थान प्रथम उद्देश
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२. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र मनवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु मनवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र मनवाला होता है (१५)।]
१६- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा उज्जू णाममेगे उज्जुसंकप्पे, उज्जु णाममेगे वंकसंकप्पे, वंके णाममेगे उज्जुसंकप्पे, वंके णाममेगे वंकसंकप्पे।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु संकल्पवाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र संकल्पवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु संकल्पवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र संकल्पवाला होता है (१६)।]
१७- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उजू णाममेगे उज्जुपण्णे, उज्जु णाममेगे वंकपण्णे, वंके णाममेगे उज्जुपण्णे, वंके णाममेगे वंकपण्णे।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजुप्रज्ञ (तीक्ष्णबुद्धि) होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र प्रज्ञावाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु प्रज्ञावाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र प्रज्ञावाला होता है (१७)।]
१८- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाउज्जू णाममेगे उज्जुदिट्ठी, उज्जु णाममेगे वंकदिट्ठी, वंके णाममेगे उज्जुदिट्ठी, वंके णाममेगे वंकदिट्ठी।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु दृष्टिवाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र दृष्टिवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु दृष्टिवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र दृष्टिवाला होता है (१८)।]
१९- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उज्जू णाममेगे उज्जुसीलाचारे, उज्जु णाममेगे वंकसीलाचारे, वंके णाममेगे उज्जुसीलाचारे, वंके णाममेगे वंकसीलाचारे।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु शील-आचार वाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र शील-आचार वाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु शील-आचार वाला होता है।