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________________ तृतीय स्थान– चतुर्थ उद्देश १७५ महाद्रह-सूत्र ४५५- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं तओ महादहा पण्णत्ता, तं जहा—पउमदहे, महापउमदहे, तिगिंछदहे। तत्थ णं तओ देवताओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमट्टितीओ परिवसंति, तं जहा– सिरी, हिरी, धिती। जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग में तीन महाद्रह कहे गये हैं—पद्मद्रह, महापद्मद्रह और तिगिंछद्रह । इन द्रहों पर एक पल्योपम की स्थितिवाली तीन देवियाँ निवास करती हैं श्रीदेवी, ह्रीदेवी और धृतिदेवी (४५५)। ४५६– एवं उत्तरे णं वि, नवरं—केसरिदहे, महापोंडरीयदहे, पोंडरीयदहे। देवताओ कित्ती, बुद्धी, लच्छी। ___ इसी प्रकार मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में भी तीन महाद्रह कहे गये हैं—केशरीद्रह, महापुण्डरीकद्रह और पुण्डरीकद्रह । इन द्रहों पर भी एक पल्योपम की स्थितिवाली तीन देवियाँ निवास करती हैं—कीर्तिदेवी, बुद्धिदेवी और लक्ष्मीदेवी (४५६)। नदी-सूत्र ४५७- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं चुल्लहिमवंताओ, वासधरपव्वताओ पउमदहाओ महादहाओ तओ महाणदीओ पवहंति, तं जहा गंगा, सिंधू, रोहितंसा। . जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में क्षुल्ल हिमवान् वर्षधर पर्वत के पद्मद्रह नामक महाद्रह से तीन महानदियां प्रवाहित होती हैं—गंगा, सिन्धु और रोहितांशा (४५७)। ४५८-- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं सिहरीओ वासहरपव्वताओ पोंडरीयबहाओ महादहाओ तओ महाणदीओ पवहंति, तं जहा सुवण्णकूला, रत्ता, रत्तवती। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में शिखरी पर्वत के पुण्डरीक महाद्रह से तीन महानदियां प्रवाहित होती हैं—सुवर्णकूला, रक्ता और रक्तवती (४५८)। ४५९- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरे णं तओ अंतरणदीओ पण्णत्ताओ, तं जहागाहावती, दहवती, पंकवती। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्वभाग में सीता महानदी के उत्तर भाग में तीन अन्तर्नदियां कही गई हैं—ग्राहवती, द्रहवती और पंकवती (४५९)। ४६०– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए दाहिणे णं तओ अंतरणदीओ पण्णत्ताओ, तं जहा–तत्तजला, मत्तजला, उम्मत्तजला। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व भाग में सीता महानदी के दक्षिण भाग में तीन अन्तर्नदियां कही
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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