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________________ ७६ स्थानाङ्गसूत्रम् सुवग्गू, दो गंधिला, दो गंधिलावती । सुकच्छ, दो महाकच्छ, दो धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध सम्बन्धी विदेहों में दो कच्छ, कच्छकावती, दो आवर्त, दो मंगलावर्त, दो पुष्कल, दो पुष्कलावती, दो वत्स, दो सुवत्स, दो महावत्स, दो वत्सकावती, दो रम्य, दो रम्यक, दो रमणीय, दो मंगलावती, दो पक्ष्म, दो सुपक्ष्म, दो महापक्ष्म, दो पक्ष्मकावती, दो शंख, दो नलिन, दो कुमुद, दो सलिलावती, दो वप्र, दो सुवप्र, दो महावप्र, दो वप्रकावती, दो वल्गु, दो सुवल्गु, गन्ध और दो गन्धिलावती ये बत्तीस विजय क्षेत्र हैं (३४०) । दो ३४१ – दो खेमाओ, दो खेमपुरीओ, दो रिट्ठाओ, दो रिट्ठपुरीओ, दो खग्गीओ, दो मंजुसाओ, दो ओसीओ, दो पोंडरिगिणीओ, दो सुसीमाओ, दो कुंडलाओ, दो अपराजियाओ, दो पभंकराओ, दो अंकावईओ, दो पम्हावईओ, दो सुभाओ, दो रयणसंचयाओ, दो आसपुराओ, दो सीहपुराओ, दो महापुराओ, दो विजयपुराओ, दो अवराजिताओ, दो अवराओ, दो असोयाओ, दो विगयसोगाओ दो विजयाओ, दो वेजयंतीओ, दो जयंतीओ, दो अपराजियाओ, दो चक्कपुराओ, दो खग्गपुराओ, दो अवज्झाओ, दो अउज्झाओ । उपर्युक्त बत्तीस विजयक्षेत्र में दो क्षेमा, दो क्षेमपुरी, दो रिष्टा, दो रिष्टपुरी, दो खड्गी, दो मंजूषा, दो औषधी, दो पौण्डरीकिणी, दो सुसीमा, दो कुण्डला, दो अपराजिता, दो प्रभंकरा, दो अंकावती, दो पक्ष्मावती, दो शुभा, दो रत्नसंचया, दो अश्वपुरी, दो सिंहपुरी, दो महापुरी, दो विजयपुरी, दो अपराजिता, दो अपरा, दो अशोका दो विगतशोका, दो विजया दो वैजयन्ती, दो जयन्ती, दो अपराजिता, दो चक्रपुरी, दो खड्गपुरी, दो अवध्या और दो अयोध्या, ये बत्तीस नगरियाँ हैं (३४१ ) । ३४२ – दो भद्दसालवणा, दो णंदणवणा, दो सोमणसवणा, दो पंडगवणाई । धातकीखण्डद्वीप में दो मन्दरगिरियों पर दो भद्रशालवन, दो नन्दनवन, दो सौमनसवन और दो पण्डकवन हैं। (३४२) । ३४३— दो पंडुकंबलसिलाओ, दो अतिपंडुकंबलसिलाओ, दो रक्तकंबलसिलाओ, दो अइरत्तकंबलसिलाओ। उक्त दोनों पण्डकवनों में दो पाण्डुकम्बल शिला, दो अतिपाण्डुकम्बल शिला, दो रक्तकम्बल शिला और दो अतिरक्तकम्बल शिला (क्रम से चारों दिशाओं में अवस्थित ) हैं (३४३) । ३४४— दो मंदरा, दो मंदरचूलिआओ । ३४५ — धायइसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाई उड्डमुच्चत्तेणं पण्णत्ता । ३४६ –— कालोदस्स णं समुद्दस्स वेइया दो गाउयाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । धातकीषण्डद्वीप में दो मन्दरगिरि हैं और उनकी दो मन्दरचूलिकाएँ हैं (३४४)। धातकीषण्डद्वीप की वेदिका दो कोश ऊंची कही गई है ( ३४५) । कालोद समुद्र की वेदिका दो कोश ऊंची कही गई है (३४६) ।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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