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________________ श्रीमान् सेठ कँवरलालजी बेताला : एक परिचय श्री आगम प्रकाशन समिति के विशिष्ट सहयोगी एवं आगम प्रकाशन के कार्य की नींव रखने वालों में प्रमुख, धर्मप्रेमी, उदारहृदय एवं सरल स्वभावी श्रीमान् कॅवरलालजी सा. बेताला मूलतः डेह एवं नागौर निवासी हैं । आप श्रीमान् पूनमचन्दजी बेताला के सुपुत्र हैं। आपकी मातुश्री का नाम राजीबाई है। आप पांच भाई हैं जिनमें आपका चौथा स्थान है। सभी भाई अच्छे व्यवसायी हैं। आपका जन्म वि. सं. १९८० में डेह में हुआ । वहीं प्रारम्भिक अध्ययन हुआ । आप बारह वर्ष की अल्पायु में ही अपने पिताजी के साथ आसाम चले गये थे। वहाँ व्यवसाय में लग गये और अपनी सहज प्रतिभा से निरन्तर प्रगति कर आगे से आगे बढ़ते गये । आज गोहाटी में आपका विस्तृत फाइनेन्स का व्यवसाय है। आप साहसी व्यवसायी है। हमेशा दूरन्देशी से कार्य करते हैं । फलस्वरूप आपको हमेशा सफलता मिली है। आप अपने श्रम से उपाजित धन का खुले दिल से सामाजिक संस्थानों के लिये एवं धार्मिक कार्यों में उपयोग करते हैं। मुक्त हस्त से दान देते हैं। ___ पाप सन्तों की अत्यन्त भक्तिभाव से सेवा करते हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती बिदामबाई भी उदारमना महिला हैं । वे भी सन्त सतियों के प्रति श्रद्धावान हैं व उनकी विश्वासभाजन हैं। दोनों श्रद्धालु एवं धर्मपरायण हैं। ___ स्व. स्वामीजी श्री रावतमलजी महाराज सा. के श्रद्धालु श्रावकों में आप प्रमुख रहे हैं। उसी तरह शासनसेवी श्री व्रजलालजी महाराज एव युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म. सा. के भी आप परम भक्त हैं। आप अपनी जन्मभूमि की अनेक संस्थानों के लिये व अन्य सेवा-कार्यों में अपने धन का सदुपयोग करते रहते हैं । श्री स्थानकबासी जैन संघ गौहाटी के आप अध्यक्ष हैं। भारत जैन महामंडल के संरक्षक एवं आसाम प्रान्त के संयोजक हैं। मुनिश्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। श्री आगम-प्रकाशन-समिति के आप उपाध्यक्ष है। आपके सुपुत्र श्री धर्मचन्दजी भी बड़े उत्साही व धार्मिक रुचि के युवक हैं । आपके दो पुत्रियाँ श्रीमती कान्ता एवं मान्ता तथा पौत्र महेश व मुकेश भी अच्छे संस्कारशील हैं। आपका वर्तमान पता:ज्ञानचन्द धर्मचन्द बेताला ए. टी. रोड़, गौहाटी (आसाम) है । आपने इस सूत्र के प्रकाशन में विशिष्ट अर्थ सहयोग प्रदान कर हमें उत्साहित किया है । आशा है भविष्य में भी समिति को आपकी ओर से इसी प्रकार सहयोग प्राप्त होता रहेगा। । मंत्री श्री प्रागम प्रकाशन समिति ब्यावर (राज.)
SR No.003439
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages282
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_sutrakritang
File Size20 MB
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