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________________ प्रकाशकीय सूत्रकृतांग सूत्र का द्वितीय भाग पाठकों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए हमें परम सन्तोष का अनुभव हो रहा है । प्रस्तुत सूत्र के दो श्रुतस्कन्ध हैं । उनमें से प्रथम श्र तस्कन्ध प्रकाशित हो चुका है । अब यह द्वितीय श्रुतस्कन्ध भी प्रबुद्ध पाठकों की सेवा में पहुँच रहा है । इसके पूर्व स्थानांग सूत्र मुद्रित हो चुका है और समवायांग का मुद्रण समाप्ति के निकट है । हमारा संकल्प है, अनुचित शीघ्रता से बचते हुए भी यथासंभव शीघ्र से शीघ्र सम्पूर्ण बत्तीसी पाठकों को सुलभ करा दी जाए । समग्र देश में और विशेषतः राजस्थान में जो विद्य ुत संकट चल व्याघात उत्पन्न हो रहा है, इस संकट के प्रांशिक प्रतीकार के लिए अजमेर व्यवस्था करनी पड़ी है । यह सब होते हुए भी जिस प्रेमी पाठक और ग्राहक श्रवश्य ही सन्तुष्ट होंगे । रहा है, उसके कारण मुद्रणकार्य में भी और आगरा -दो स्थानों पर मुद्रण की वेग के साथ काम हो रहा है, उससे आशा है, हमारे शास्त्र श्रमण संघ के युवाचार्य पण्डितप्रवर श्री मधुकर मुनिजी महाराज के श्री चरणों में कृतज्ञता प्रकाशित करने के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया जाय, जिनकी श्रुतप्रीति एवं शासन - प्रभावना की प्रखर भावना की बदौलत ही हमें श्रुत सेवा का महान् सौभाग्य प्राप्त हुआ है । साहित्यवाचस्पति विश्रुत विबुध श्री देवेन्द्र मुनिजी म० शास्त्री ने समिति द्वारा पूर्व प्रकाशित आगमों की भाँति प्रस्तुत आगम की विस्तृत और विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावना लिखने का दायित्व लिया था, किन्तु स्वास्थ्य की प्रतिकूलता के कारण यह सम्भव नहीं हो सका, तथा हमारे अनुरोध पर पंडितरत्न श्रीविजय मुनिजी शास्त्री विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावना लिखी है, तदर्थ हम विनम्र भाव से मुनिश्री के प्रति आभारी हैं । प्रस्तावना प्रथम भाग प्रकाशित की जा चुकी है । पाठक वहीं उसे देखें । सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमान् श्रीचन्दजी सुराणा ने इस आगम का सम्पादन एवं अनुवाद किया है । पूज्य युवाचार्यश्री जी ने तथा पं० शोभाचन्द्रजी भारिल्ल ने अनुवाद आदि का अवलोकन किया है । तत्पश्चात् मुद्रणार्थं प्रेस में दिया गया है । तथापि कहीं कोई त्रुटि दृष्टिगोचर हो तो विद्वान् पाठक कृपा कर सूचित करें जिससे अगले संस्करण में संशोधन किया जा सके । हमारी हार्दिक कामना है कि जिस श्रुतभक्ति से प्रेरित होकर आगम प्रकाशन समिति आगमों का प्रकाशन कर रही है उसी भावना से समाज के आगमप्रेमी बन्धु इनके अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार में उत्साह दिखलाएँगे जिससे समिति का लक्ष्य सिद्ध हो सके । अन्त में हम उन सब अर्थसहायकों एवं सहयोगी कार्यकर्त्ताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं जिनके मूल्यवान् सहयोग से ही हम अपने कर्त्तव्य पालन में सफल हो सके हैं । चांदमल विनायकिया मन्त्री श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष जतनराज सुथा महामन्त्री
SR No.003439
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages282
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_sutrakritang
File Size20 MB
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