________________
सूत्रांक
सूत्र परिचय
अध्ययन परिचय
६३८
पुष्करिणी और उसके मध्य में विकसित पुण्डरीक का वर्णन ६३९-४२ श्र ेष्ठ पुण्डरीक को पाने में असफल चार पुरुष ६४३ उत्तम श्वेत कमल को पाने में सफल : निस्पृह भिक्षु ६४४-४५ दृष्टान्तों में दान्तिक की योजना
६४६-४७ धर्मश्रद्धालु राजा आदि के मस्तिष्क में अन्यतीर्थिकों द्वारा स्वधर्मप्रवेश का तरीका ६४८-५३ प्रथम पुरुष तज्जीव तच्छरीरवादी का वर्णन
६५४-५८ द्वितीय पुरुष : पाञ्चमहाभूतिक स्वरूप विश्लेषण
:
६५९-६२ तृतीय पुरुष : ईश्वर कारणवादी : स्वरूप और विश्लेषरण
ईश्वर कारणवाद का मन्तव्य : आत्माद्वैत वाद का स्वरूप : श्रात्माद्वत वाद- - युक्तिविरुद्ध ६६३-६६ चतुर्थ पुरुष नियतिवादी स्वरूप और विश्लेषण ६६७-७६ भिक्षावृत्ति के लिए समुद्यत भिक्षु के लिए वैराग्योत्पादक परिज्ञान सूत्र ६७७-७८ गृहस्थवत् प्रांरभ - परिग्रह युक्त श्रमण-माहन और इन दोनों से मुक्त निर्ग्रन्थ भिक्षु ६७९-९३ पंचम पुरुष अनेक गुण विशिष्ट भिक्षु
क्रियास्थान : द्वितीय अध्ययन : पृष्ठ ५२ से १०५
६९४
विषयानुक्रमणिका
[ द्वितीय श्रुतस्कंध : अध्ययन १ से ७ तक ]
पोंडरीक : प्रथम अध्ययन : पृष्ठ १ से ५१
६९५
६९६
६९७
६९८
६९९
७००
७०१
प्राथमिक परिचय
संसार के समस्त जीव तेरह क्रियास्थानों में
[क्रियास्थान : परिभाषा, दण्डसमादान : क्रियास्थानों द्वारा वर्णबन्ध ]
प्रथम क्रियास्थान : श्रर्थदण्ड प्रत्ययिक
द्वितीय क्रियास्थान : अनर्थदण्ड प्रत्ययिक
तृतीय क्रियास्थान : हिंसादण्ड प्रत्ययिक चतुर्थ क्रियास्थान : अकस्माद् दण्ड प्रत्ययिक पंचम क्रियास्थान : दृष्टि विपर्यास दण्ड प्रत्ययिक छठा क्रियास्थान : मृषावाद प्रत्ययिक
सप्तम क्रियास्थान : अदत्तादान प्रत्ययिक
पृष्ठ
তর এই
१
५
७
९
१३
१५
१७
२०
२५
२८
३१
३५
४१
४३
५२-५३
૪
५६
५६
५८
५९
६०
६१
६२