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________________ २८६-२८८ २८६ से ३०२ ...२८६ २६२ . ३०१ ३०२ से ३१४ ३०२ ३१० ३१५-३१६ सूत्रांक नरक विभक्ति पंचम अध्ययन : पृष्ठ २८६ से ३१४ प्राथमिक-परिचय प्रथम उद्देशक ३००-३०४ नरक जिज्ञासा और संक्षिप्त समाधान ३०५-३२४ नारकों को भयंकर वेदनाएँ ३२५-३२६ नरक में नारक क्या खोते, क्या पाते ? .. . द्वितीय उद्देशक ३२७-३४५ तीव्र वेदनाएँ और नारकों के मन पर प्रतिक्रिया ३४८-३५१ नरक में सतत दुःख प्राप्त और उससे बचने के उपाय महावीर स्तव (वीर स्तुति) छठा अध्ययन : पृष्ठ ३१५ से ३२८ प्राथमिक ३५२-३५३ भगवान महावीर के सम्बन्ध में जिज्ञासा.... . ३५४-३६० अनेक गुणों से विभूषित भगवान महावीर की महिमा ३६१-३६५ पर्वत श्रेष्ठ समेह के समान गणों में सर्वश्रेष्ठ महावीर ३६६-३७५ विविध उपमाओं से भगवान की श्रेष्ठता .३७६-३७६ भगवान महावीर की विशिष्ट उपलब्धियाँ : -३८० फलश्रुति कुशील परिभाषित : सप्तम अध्ययन : पृष्ठ ३२६ से ३४२ प्राथमिक ३८१-३८४ कुशीलकृत जीवहिंसा और उसके दुष्परिणाम ३८५-३८६ कुशीलों द्वारा स्थावर जीवों की हिंसा के विविध रूप ३६०-३६१ कुशील द्वारा हिंसाचरण का कटुविपाक ३६२-४०० मोक्षवादी कुशीलों के मत और उनका खण्डन ४०१-४०६ कुशील साधक की आचारभ्रष्टता .४०७-४१० सुशील साधक के लिए आचार-विचार के विवेक सूत्र ३१६ ३२६-३३० الله الله ३३१ ३३३ ३३४ الله ३३५ - ३३६ ३४१ ___ ३४३-३४४ ३४५ वीर्य : अष्टम अध्ययन : पृष्ठ ३४३ से ३५६ प्राथमिक .. . . ... ... वीर्य का स्वरूप और प्रकार बालजनों का सकर्म वीर्य : परिचय और परिणाम ..' पण्डित (अकर्म) वीर्य : साधना के प्रेरणा सूत्र अशुद्ध और शुद्ध पराक्रम ही बालवीर्य और पण्डितवीर्य पण्डित वीर्य : साधना का आदर्श .४११-४१३ .४१४-४१६ ४२०-४३१ ४३२-४३४ ३४५ ३४६ ३४८
SR No.003438
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages565
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_sutrakritang
File Size11 MB
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