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आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध
निरूपित की गई हैं। यात्रीशालाओं में ठहरते समय क्षेत्र-काल की मर्यादा का विचार करके उनके स्वामी या स्वामी द्वारा नियुक्त अधिकारी से अवग्रह की याचना करे, सदा अवग्रह की अनुज्ञा ग्रहणशील साधक घास, ढेला, राख , सकोरा, उच्चार के स्थान आदि अवग्रह की अनुज्ञा ग्रहण करके प्राप्त करता है। जितने अवग्रह की अनुज्ञा ली हो, उतना ही कल्पनीय होता है। संघाड़े के साधुओं आदि से अनुज्ञा लेकर वस्तुओं का रत्नाधिक (छोटे-बड़े ) क्रम के अनुसार उपभोग करे, गमनादि करे। साधर्मिकों से अवग्रह-याचना करके वहाँ ठहरे, शयनादि करे। चतुर्थ महाव्रत और उसकी पांच भावनाएं ___ ७८६.अहावरं चउत्थं (भंते !) महव्वयं पच्चक्खामि सव्वं मेहुणं।से दिव्वं वा माणुसं वा तिरिक्खजोणियं वा णेव सयं मेहुणं गच्छे (जा), तं चेव, अदिण्णादाणवत्तव्वया भाणितव्वा जाव वोसिरामि'।
७८७. तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति
(१) तत्थिमा पढमा भावणा-णो णिग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहइत्तए सिया।केवली बूया-निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेदा संतिविभंगा संति केवलिपण्णत्तातो धम्मातो भंसेजा। णो ५ निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेइ (त्तए) सिय त्ति पढमा भावणा।।
(२) अहावरा दोच्चा भावणा–णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए णिज्झाइत्तए सिया। केवली बूया-निग्गंथे णं (इत्थीणं) मणोहराई २ इंदियाइं आलोएमाणे . णिज्ज्झाएमाणे संतिभेदा संतिविभंगा जाव धम्मातो भंसेजा, णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराइ. २ इंदियाइं आलोइत्तए णिज्ज्झाइत्तए सिय त्ति दोच्चा भावणा।
(३)अहावरा तच्चा भावणा—णो णिग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सुमरित्तए सिया। केवली बूया-निग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरमाणे संतिभेदा जाव विभंगा जाव भंसेजा।णो णिग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सिय त्ति तच्चा भावणा।
१. आचारांग चूर्णि मू० पा० टि० पृ० २८५ २. 'पच्चक्खामि' के बदले पाठान्तर है- 'पच्चाइक्खामि।' ३. 'इथीणं कहंकहइत्तए' के बदले पाठान्तर है- 'इत्थीकधंकहइत्तए, इत्थीणं कहंकहत्तिए।' ४. किसी-किसी प्रति में 'अभिक्खणं' पद नहीं है। ५. 'णो णिग्गंथे ... सियत्ति' पाठ के स्थान पर पाठान्तर है- 'तम्हा णो निग्गंथे इत्थीणं कहं कहेजा।' ६. 'कहेइ (त्तए) सियत्ति' के बदले पाठान्तर है-'कहे सिय .... 'कहेइ सिय त्ति बेमि पढमा।' ७. 'मणोहराई'के आगे २ का अंक मणोरमाई पद का सूचक है। ८. जाव भंसेज्जा के बदले पाठान्तर हैं-'जाव भासेजा'"जाव आभंसेज जा भंसेजा।'