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निवेदन आज खरतरगच्छको कई प्राचीन पट्टावलियोंका यह संग्रह पाठकोंके सम्मुख उपस्थित करते हुए हर्ष होता है। इस विषयकी सब बातें प्रवीण इतिहासवेत्ता श्री जिनविजयजी महोदयके 'किञ्चित् वक्तव्य' से ज्ञात होंगी। जैनशासनके इतिहास-सम्बन्धी साधनोंमें पट्टावलीका स्थान उच्च है ; अतः जैन और जैनेतर इतिहास-प्रेमी सज्जनोंको इन पट्टावलियोंसे विशेष लाभ होगा, इस भावनासे ही इन्हें प्रकाशित किया गया है। यह छोटासा संग्रह पुरातत्वज्ञोंके लिए अधिक उपयोगी हो, इसलिए साथमें अकारादि क्रमसे नामोंकी तालिका भो दे दी गई है। आशा है कि भविष्यमें ऐसे २ जो कुछ साधन मिलेंगे, उन्हें हमारे धर्मबन्धु प्रकाशित करनेका उद्यम करते रहेंगे।
कलकत्ता ४८, इंडियन मिरर स्ट्रीट ,
-प्रकाशक
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