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________________ प्रन्थकर्ता विषयक संस्मरण [ २३ बूंदी के रावराजा बिशनसिंह से कर्नल टॉड ने मित्रता करली थी और राजधानी में प्रवेश करते ही उसकी उपस्थिति से जो खुशी की लहर उमड़ पड़ी थी उसका सजीव वर्णन उसने इतिहास में किया है। ब्रिटेन के उदार हस्तक्षेप से बूंदी को पुनः स्वाधीनता मिल गई थी और इस बात को वहाँ का राजा, जागीरदार तथा प्रजाजन सभी अनुभव करते थे और स्वीकार करते थे। राजधानी छोड़ने के बाद वह दल यहाँ को प्रतिकूल जलवायु में डूबनेउतराने लगा। जब वे लोग २८ सितम्बर को जहाजपुर पहुंचे तो कर्नल टॉड को बुखार हो गया और शरीर में दर्द होने लगा। 'मक्की के पाटे' की एक रोटी से आकृष्ट हो कर उसने दो निवाले भी नहीं खाए थे कि उसको विचित्र और असाधारण लक्षण दिखाई देने लगे। वह कहता है, "मेरा सिर फैलता हुआ मालूम दिया और ऐसा लगा कि यह इतना बड़ा हो जायगा कि केवल इसी से पूरा तम्ब भर जायगा; मेरी जबान और प्रोठ सख्त हो गए और सूज गए; यद्यपि इससे मुझे कोई भय नहीं हुआ और न जरा-सी भी बेहोशी आई परन्तु मुझे यह उस प्रचण्ड दौरे का पूर्व लक्षण-सा लगा जिसने कुछ वर्षों पहले मुझे आक्रान्त करके मौत के किनारे पहुंचा दिया था। मैंने कप्तान वाघ' से प्रार्थना की कि मुझे अकेला छोड़ दें, परन्तु वे गए ही थे कि मेरे गले में एक खिचाव आया और मैंने सोचा कि मामला खतम है । तम्बू के खम्भे को पकड़ कर मैं जैसे-तैसे खड़ा हुआ और उसी समय मेरा सम्बन्धी सर्जन को ले कर अन्दर आया। मैंने इशारा किया कि वे मेरे विचारों में विघ्न न डालें परन्तु इसके बदले में उन्होंने कुछ चूर्ण और मिश्रण-सा मेरे मुंह में ठूस कर गले में उतार दिया जिसका जादू का-सा असर हुआ; मुझे ज़ोर की उल्टी हुई और में बिछौने पर लुढ़क गया; सबेरे के दो बजे के करीब मुझे चेत हुमा तब मैं पसीनों से नहाया हुआ था और बीमारी का नामो-निशान भी न था।" विश्वास का कारण भी था (और सर्जन की भी राय थी) कि यह जहर का असर था जो रोटी में मिलाया गया था। मेवाड़ में उद्वेगकारक कर्तव्य आरम्भ करने के बाद तीन चार बार पहले भी वह कब्र के किनारे तक पहुंचाया जा चुका था। ज्योंही वे आगे बढ़े तो आबोहवा ने दल-के-दल को नष्ट करने की धमकी दी। ध्वज-वाहक कैरी (Cary) मर गया; कोटा-ज्वर और स्नायुक (Guinea. worm) से कप्तान वाघ मरता-मरता बचा; और मॉडल पहुंच कर कर्नल टॉड बुखार और दर्द के अलावा प्लीहा रोग से ग्रसित हो गया; परन्तु, इन सब के ' कप्तान वाघ, जो उस लवाजमें का कमाण्डर पा, कर्नल टॉड का रिश्तेदार भी था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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