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________________ २२ ] पश्चिमी भारत की यात्रा यह है कि भीलवाड़ा 'टॉड गंज' ही कहलाता था परन्तु बाद में स्वयं टॉड की प्रार्थना पर ही यह नाम दबा दिया गया क्योंकि वह चाहता था कि प्रत्येक लाभकारी कार्य का गौरव राणा को ही प्राप्त हो और वह स्वयं उसके हृदय से निकली हुई प्रशंसा से ही संतुष्ट रहे। फर्वरी, १८१६ ई० में, मेवाड़, जैसलमेर, कोटा, बूंदी और सिरोही के अतिरिक्त मारवाड़ की रियासत भी उसकी एजेन्सी में रखी गई; और उसी वर्ष के अक्टूबर मास में वह मारवाड़ की राजधानी जोधपुर के लिए रवाना हुआ। कर्नल टॉड ने वहां के राजा मान से बातचीत की, जो अपनी तरह का एक ही था और जिसके चरित्र का उसने अपने 'व्यक्तिगत विवरण' में बड़ी योग्यता के साथ चित्रण किया है। ऐसा लगता है कि प्रतिहिंसा के आसुरी भावों के वश होकर इस राजाने 'राज-प्रतिनिधि' की आशाओं और आकांक्षाओं को विफल कर दिया था। तदनन्तर वह अजमेर गया और दिसम्बर में वापस उदयपुर की उपत्यका में लौट आया। - जनवरी, १८२० में वह कोटा और बूंदी की हाडा रियासतों के दूसरे दौरे पर रवाना हा। इन दोनों में से पहली रियासत राज्याधिकारी (Regent) जालिमसिंह के वास्तविक अधिकार में थी, जिसका व्यक्तित्व असामान्य था और जिसको कर्नल टॉड ने सही रूप में 'राजस्थान का नेस्टर (Nestor)', की संज्ञा दी है। उसकी मार्मिक बुद्धिमत्ता दो बातों से स्पष्ट है-पहली यह कि ब्रटिश सरकार द्वारा 'सुरक्षा-सन्धि' के आमन्त्रण को स्वीकार करके कार्य-सम्पन्नता के महत्व को उसकी गारुड-चक्षु' ने तुरन्त पहचान लिया और उसे अविलम्ब अंगीकार करने का गौरव प्राप्त किया (हम से सम्बन्ध स्वीकार करने वाली पहली रियासत कोटा हो थी); दूसरे, उसने भविष्यवाणी की थी कि "वह दिन दूर नहीं है जब कि एक ही शक्ति (बृटिश) का झण्डा सारे भारतवर्ष में फहरायेगा।" इस असामान्य पुरुष के इतिहास, कर्तृत्व और राजनीतिक एवं नैतिक चरित्रों से इस रियासत के इतिहास के कतिपय अध्याय मनोरञ्जक रूप में विषय-गभित हुए हैं। में १२०० पाउण्ड प्रतिवर्ष के पेंशनर के रूप में लिख दिया, जिसका उसको पता भी नहीं था। ' इतिहास, भा. १, पृ. १३ २ ऐसा लगता है कि राजा मान ने यह आचरण भारत की कालातीत भावना के कारण बृटिश सरकार से झगड़ा मोल लेने के विचार से किया था। ३ ग्रीक लोक-कथाओं का सुप्रसिद्ध बुद्धिमान् राजा। उसने ट्रॉजन-युद्ध में भी भाग लिया था और अन्यान्य राजा भी उसका दूरदर्शितापूर्ण परामर्श ग्रहण करते थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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