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परिशिष्ट
[ ५१.
सं० ६. (प० ३४७)
देवपत्तन के द्वार का शिलालेख संवत् १४४२, आषाढ़ बुद ८, शनिवार । सरस्वती को नमस्कार करके । चीतोड़ (Cheetore) का राजा भीम यदुवंश का था, उसकी पत्नी मानिक देवी
और पुत्री यामुनी बाई; वह राष्ट्रोड (?) (Rushtore) सरदार बनी ब्रिह्मोजी (Bunee Brimohjee) को ब्याही गई थी। वे प्रलियास (?) (Pruiias) आए
और उन्होंने दान-दक्षिणा दी, जिसके पुण्य से लोग अब भी लाभान्वित होते हैं (यथा, तालाब आदि)
(उसी शिला पर) संवत् १२७३ संबत् बिक्रम बैशाख बुद चौथ । देवपत्तन में राजा मूलदेव (हुमा) उसके बाद हमीर हुआ जिसने सोमनाथ के मन्दिर और मण्डप का जीर्णोद्धार कराया
इत्येतेऽभिषया बृहस्पतितया सर्वेऽपि ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ...
... ... ... ... ... ... ... ... ... । ४७. .... .." कुमारपालस्य भागिनेयो महाबलः ॥ ४२ ।।
प्रेमल्लदेव्यास्तनयो भोज ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... (४३) श्रीसोम
नाथपूजा यच्छशांकग्रहणक्षणे। कारितो गण्डराजेन तेन प्रीति मगा... .. ... ... ... ... ... ... यथाक्रम ॥ ४५ ॥
... ... ... ... ... ... ... ... ... हिरण्यतटिनीतीरे पापमोचनसन्निधौ ।
गण्डत्रि... ... ... ... ... ... २०. ... ... (ददौ) तस्मै माहेश्वरनृपापणीः ।। ४७ ।।
शासनीकृत्य दवता ग्राम... ५१. (वंशप्र) भवैः पुत्रपौत्रः भोक्तव्यं प्रमवाभिश्च ।
यावच्चन्द्रा.. ... ... ... ... ... ५२. (गण्डग)णप्रशस्ति चकार यः शीघ्रकविः सुकाव्यः ।। ५० ॥ ५३. (५१) लक्ष्मीधरसुतेनेयं लिखिता कसु (रु)रिणा ... ... ५४. बलभी संवत ८५० ग्राला ... ... ... ... ....
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