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प्रकरण २२; सामनगर, सिन्ध
सुम्मा
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पर मूर्तिपूजकों में कृष्ण और उनके मित्र अर्जुन के संवाद रूप में जो कुछ लिखा गया है वह सर्वोपरि है ।'
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परन्तु, ये सब बातें अरुचिकर ही नहीं, बहुतों को बुरी भी लग सकती हैं इसलिए हम यदु-परम्परा में एक कदम आगे बढ़ कर सिकन्दर के समय में श्रा जाते हैं और इस बात का प्रयत्न करते हैं कि कहीं सिन्धु के तट पर उसका सामना करने वालों में जाड़ेचों के पूर्वजों की पहचान तो नहीं हो जाती है ? में यहाँ पर एक बार फिर दोहरा देता हूँ कि हम कृष्ण को केवल उनके पार्थिव रूप में मानते हैं; वे यदुवंशी राजकुमार थे, शौरसेन देश से उनको खदेड़ दिया गया था, सौराष्ट्र के जंगलियों ने उनका वध कर दिया और अपनी प्राठ रानियों से बहुतसी सन्तानें वे पीछे छोड़ गए थे । इन रानियों में से एक जाम्बवती और साम्ब नामक उसके पुत्र से ही जाड़ेचा अपनी उत्पत्ति मानते हैं । कृष्ण के निधन और यादव जाति के छिन्न-भिन्न हो जाने के बाद कुछ लोग, जैसे कि जैसलमेर राजवंश के पूर्वज, पञ्जाब होते हुए सिन्धु को पार करके आगे बढ़े और अन्त में उन्होंने गज़नी का राज्य स्थापित किया। दूसरी शाखा सौराष्ट्र में बनी रही; और तीसरी साम्ब और उसके साथियों की शाखा ने सिन्धु की घाटो में पैर जमाये तथा अपने नेता के नाम पर आधुनिक ठट्ठा के पास, जहाँ सिन्धु का डेल्टा दो भागों में बंट जाता है, एक नगर 'साम्ब' अथवा 'साम्बनगर' बसाया । इस नगर की स्थापना के साथ ही साम्ब का नाम इस जाति एवं राजानों के लिए उपाधि सूचक बन गया जो आज तक चलता है और उनके स्थानीय इतिहास में तथा मुसलमान इतिहासकारों द्वारा 'सिन्ध - सुम्मा' वंश के रूप में स्वीकार किया गया है । 'साम्ब के नगर' अथवा सामनगर का उल्लेख जाड़ेचों की वंशावली में ही बार-बार नहीं हुआ है अपितु जैसलमेर की समानान्तर शुद्ध शाखा के प्राचीन इतिहास में भी सुम्म- कोट' (Summa-kote) के नाम से मिलता है । इसीलिए जो बात मैंने कई वर्षों पहले अन्यत्र कही थी वह फिर कहता हूँ कि निस्सन्देह यादवों का यह 'सामि नगर' वही 'मि नगर' ( Mingara ) है, जिसका उल्लेख पॅरिप्लुस के कर्त्ता ने यह कहते हुए किया है कि जब वह भडौंष में था, अर्थात् दूसरी शताब्दी में, तब वह (मि-नगर ) एक इण्डो-सोथिक राजा की राजधानी
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' देखिए 'भगवद् गीता' सर चाल्र्स विल्किन्स द्वारा अनूदित ।
'बा' 'श' 'स' ये सम्बन्धकारक के चिन्ह हैं। साम्ब का अर्थ हुआ शाम या श्याम का-जो कृष्ण का उनके श्यामवर्ण के कारण सर्वविदित नाम है।
3 'कोट' या 'नगर' किले अथवा परकोटे वाले शहर को कहते हैं ।
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