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________________ ४२२] पश्चिमी भारत की यात्रा ___राम के उत्तराधिकारी महीप (Mehap-महपा ?) ने तुलाई (Tullaye) के काठी राजा की कन्या से विवाह किया; इस वृत्तान्त से यह सिद्ध होता है कि जेठवों का उद्गम 'बर्बर' जाति से था । ___ गूमली के बाईसवें राजा खेमा(Khemoo) तक बीच में कोई उल्लेखनीय बात इस वृत्तान्त में नहीं है; खेमा का नाम भी केवल इसलिए संस्मरणीय है कि वह उसके मंत्री जैतो (Jaitoh) से सम्बद्ध है जो जाति से छींपा था और गूमली का तालाब जिसका उल्लेख पहले किया गया है । उसो की उदारता का परिणाम है। । पचीसवें राजा अदीत (Adit आदित्य ?) का पुत्र हरपाल हुमा जिसने एक पशु-पालक अहीर की कन्या से विवाह किया; उनकी सन्तान ही देदान (Dedan) के बाबरिया हैं, जिनके अधिकार में ऊना (Oona) और देलवाड़ा (Dailwarra) तक के बारह गाँव हैं। इसके बाद कतिपय और भी उत्तराधिकारियों ने आदिवासी मेर (Mher) लोगों में अन्तर्जातीय विवाह किए; और, इस मिश्रित जाति के लोग जो मातपक्ष का नाम धारण करते हैं, संख्या में दो हजार से कम नहीं हैं और शस्त्रधारण करते हुए जेठवा राजा के संरक्षण में निवास करते हैं। अन्त में, पचीसवें राजा ज्येष्ठा(जत) नक्षत्र में पैदा होने के कारण जिसका नाम जेठ पड़ा) के साथ कमर (Camari) का परम्परागत नाम 'जेतवा' (Jeytwa) अथवा जैसा कि प्रचलन के अनुसार मैं लिखता हैं, जेठवा' (Jaitwa) में बदल गया और इस नये नाम के साथ उन्होंने महाराजा की पदवी भी ग्रहण की अथवा प्राप्त की। नब्बेवें राजा चम्पसेन (Champsen) ने सिन्ध से निष्कासित सुमरा-वंश के सुप्रसिद्ध हमीर को शरण दी। यही वह राजा है, जिसके राज्यकाल में करगर (Caggar) नदी (जो कभी विशाल उत्तरीय पर्वत श्रेणी से निकल कर भारतीय जंगल को जलाप्लावित करती थी] सूख गई और प्रचलित पद्य के अनुसार अब तक सूखी पड़ी है। परन्तु, इस कथा का तब तक कोई मूल्य नहीं है जब तक कि हमीर अणहिलवाड़ा के इतिहास में समकालीन सिद्ध नहीं हो जाता। इसी के राज्य का वर्णन करते हुए जेठवा वंशावली में कनकसेन चौहान के दरबार में विवाह-सम्बन्धो एक विस्तृत विवरण दिया गया है। कन्या का पाणिग्रहण करने के इच्छुक राजाओं में मेवाड़ के हमीर और अणहिलवाड़ा के चावड़ा राजा का भी उल्लेख है परन्तु, लिखा है कि, लम्बी पूंछ वाला (पूंछे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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