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पश्चिमी भारत की यात्रा दूत समुद्री तट पर पोरबन्दर भेजा था, जहाँ वर्तमान जेठवा नरेश रहते हैं, और वह उनके घरू भाट और राजाओं के इतिहास तथा बहियों के साथ लौट प्राया था।
जेठवा-वंश इस प्रायद्वीप के अत्यन्त प्राचीन राजपूत वंशों में है। ऐसा ज्ञात होता है कि जब गज़नी से आक्रमण हुये थे तब इनकी शक्ति समस्त पश्चिमी भाग पर छाई हुई थी, जो भादर और कच्छ की खाड़ी से घिरा हुआ था और हालार (Hallour), बड़ीरा (जिसको मानचित्र में बरड़ा नाम से दिखाया गया है) तथा झालावाड़ का पश्चिमी भाग भी इसी में सम्मिलित थे। यद्यपि ये लोग उस समय पूर्ण स्वतंत्र होने का गर्व करते हैं, परन्तु अहिलवाड़ा के इतिवृत्तों से यह स्पष्ट विदित होता है कि वे बलहरों के अधीनस्थ सामन्तों में से थे। गुमली का नाश होने के बाद जेठवों की शक्ति क्षीण होती चली गई और उनके पड़ोसी जाम द्वारा सीमातिक्रमण के फलस्वरूप उनका अधिकार बरड़ा की पहाड़ियों के दक्षिण में एक छोटे से भू-भाग तक ही सीमित रह गया है, जिसकी वार्षिक राजस्व आय एक लाख से अधिक नहीं है। राज्य की क्षीणता के उपरान्त भी पोरबन्दर के 'पूछेड़िया राणा' अथवा लम्बी पूंछ वाले राणा छोटे-छोटे भोमियों में अपना सर ऊँचा उठाये रहते हैं और अपनी शिराओं में प्रवाहित होने वाले प्राचीन रक्त पर गर्व करते हुए अपने जमींदार स्वामी गायकवाड़ को एक प्रकार से घृणा को दृष्टि से हो देखते हैं।
__ जब में 'बही-वंश' [वंश बही) में उलझ रहा था तो मुझे सेन्ट पॉल' (St.Paul) द्वारा तिमॉथी (Timothy)' को दिये हुए इस उपदेश में पूरा बल जान पड़ा कि 'दन्त कथाओं और अन्तहीन वंशानुक्रमणिकाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए।' मेरे दो दिनों के परिश्रम का फल मुझे इस आत्म-विश्वास के रूप में मिला कि कम से कम में भी उन लोगों की उत्पत्ति के विषय में उतना ही जानता था जितना कि वे स्वयं अपने बारे में जानकार थे। थोड़े से तथ्यों और, उनसे
१ सेन्ट पॉल-सन्त पौर धर्मोपदेशक । यह पहले का इस्ट के विरुद्ध थे और उनके अनुयायियों
पर अपराध लगाने में सक्रिय भाग लेते थे परन्तु एक बा. जब ये दमिश्क जा रहे थे तो मार्ग में क्राइस्ट को एक ही बार देख कर उनके शिष्य बन गये । ईसाई मत के इतिहास में सेन्ट पॉल का बहुत ऊंचा स्थान है। रोमन पाम्राज्य में ईसाई मत उन्हीं के प्रयत्नों से फैला तथा उनके आध्यात्मिक एवं नैतिक सिद्धान्तों का भी सभ्य संसार में खूब प्रचार हुप्रा था। तिमॉथी (Timothy) सेन्ट पॉल के साधी और संत थे। वे उनके साथ यूरोप गए और मसीडॉन (Macedon) में गिरजे स्थापित करने में उनकी सहायता की ।
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