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________________ प्रकरण १६ aigar (Dandoosir); fafsart (Jinjirrie); #51514rat (Kattywauna); भादर नदी का परिवर्तित मार्ग; तुरसी (Tursye); कण्डोरना (Kundornah); का प्राचीन नगर; भोवल (Bhanwal); प्रान्त का क्यनीय दृश्य; गुमली (Goomli); के खण्डहर; जेठवों के मन्दिर; शिलालेख; जेठयों का ऐतिहासिक वृत्तान्त; नगड़ी (Nagdeah); देवला (Deolah); अहीरों की उत्पत्ति ; मुकतासर (Mooktasir); द्वारका; निर्जन प्रदेश द्वारका का मन्दिर, देवालय; महात्मा; मन्दिर-विषयक लोककथा । दादूसर-दिसम्बर १७ वीं-चार कोस । बबूल के पेड़ों से भरे घने जंगल को पार किया, जिसमें कहीं कहीं जमीन के टुकड़ों में खेतो, मुख्यत: चने की, दिखाई देती थी। गांव दरिद्र थे और उनमें इस क्षेत्र के पशुपालक अहीर तथा कुलमी (Koolmbies) बसते थे, परन्तु कुछ गांवों में सिन्धी ही सिन्धी थे। जिजिरो-दिसम्बर १८ वीं-छः कोस । खेतीबाड़ी कल जैसी ही थी, परन्त बस्ती में सामान्य जातियों के अतिरिक्त हमें दूसरी पश्चिमी बलूता ( Bulotah) जाति के लोग भी मिले । काठीवाना-दिसम्बर १६ वीं; आठ कोस । इस जगह को कस्बा कहा जा सकता है, जहाँ तीन हजार घर हैं और पक्का परकोटा भी है। यह भादर के किनारे पर स्थित है, जिसमें मेरे द्वारा देखी हई इस प्रायद्वीप की सभी नदियों से अधिक पानी है । अबुल फज़ल ने यहां की बढ़िया मछलियों की बहुत तारीफ की है, परन्तु हमने जो एकमात्र मछली कांटे से पकड़ी उसने भारतीय हेरोडोटस' द्वारा की हुई प्रशंसा को अन्यथा ही सिद्ध किया, क्योंकि वह स्वाद में बुरी तरह खारी थी और नदी के रंग को भी गदला कर रही थी। हमारी मंज़िल के अन्तिम दो मील नदी के किनारे-किनारे ही चले और उसीके तट पर हमने डेरा जमाया। यह कस्बा कुछ प्राचीन है और पुराने जमाने में कुन्तलपुर कहलाता था; अब भी यहाँ पर एक प्रान्तरिक दुर्ग मौजूद है, जिसका नाम 'काली कोट' है । कहते हैं कि काठीवाना में अट्ठारह 'बरण' अर्थात् जातियों के प्रतिनिधि बसते हैं, परन्तु यहाँ की आबादी मुख्यतः सिन्धु घाटी के बनियाभाटियों' और मोमन अथवा मुसलमान जुलाहों की है। भादर ने अपना मार्ग १ प्रथम इतिहासकार। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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