________________
३६२ ]
पश्चिमी भारत की यात्रा उत्पत्ति और संहार की दोनों 'माताओं', अम्बा भवानी और कालिका के मन्दिरों में सीधा फासला दो मील का है। कालिका के मन्दिर का शिखर अम्बा के आधार स्थल से ऊँचा नहीं है, परन्तु बीच के शिखर दक्षिण की रेखा से काफी बाहर निकले हुए हैं और स्पष्ट पहचाने जा सकते हैं। कालिका के मन्दिर से परली घाटी का उतार सीधा और जल्दी का है।
___गोरखनाथ-शिखर पर से इस समस्त पर्वत-पुञ्ज की 'मेरुसमान' उपमा ठीक-ठीक समझ में आती है; आसपास की अवर पहाड़ियों के बीच यह मुकुट के समान खड़ा है और अपनी तलहटी में एक विशाल अखाड़ा-सा बनाए हुए है, जो दुर्गम्य जंगलों से ढंका हुआ है तथा जिसके श्यामल पादप-पुञ्जों में होकर चट्टानों की दरारों में से निकलने वाले अनेक झरने बहते हैं, जिनके सभी के भिन्न-भिन्न नाम हैं, जैसे-शश-वन, हनुमान-भर आदि । समीप के प्रत्येक वन, झरने अथवा पर्वत के शिखर तथा जंगल का नाम किसी न किसी आशा अथवा भय पैदा करने वाले पदार्थ के साथ जुड़ा हमा है और उनसे सम्बद्ध वार्तामों की प्रचलित परम्परा समृद्ध है। दक्षिण-पश्चिम की ओर सबसे ऊंची पहाड़ी पर जमालशाह नामक मुसलिम सन्त ने अपना प्रासन (तकिया) लगा रखा है और वह श्रद्धालुओं की निजात के लिए मध्यस्थ बना हुआ है। जब मैंने एक वृद्ध मुसलमान नौकर से पूछा कि उसे यहाँ क्या प्राप्त हुआ, तो उसका उत्तर था 'इमाम को] खैर और उसके मालिक व खुद की तन्दुरुस्ती।'
इस जङ्गल का एक भाग 'हिडिम्ब की पुत्री का भूला' कहलाता है, जो पाण्डवों के समय में इस] वन का राजा था और, कहते हैं कि, जिन लोगों में भय की अपेक्षा कुतूहल अधिक प्रबल है उनको अब भी यहाँ अंगूठियां देखने को मिल जाती हैं क्योंकि वहाँ तक पहुँचने का मार्ग एक पहाड़ की चोटी के नीचे होकर जाता है जो उस असूर की कन्या के नाम से प्रसिद्ध है। उपाख्यान में कहा गया है कि वनपति की कन्या का हाथ उस वीर के लिए सुरक्षित था, जो उसकी पृथु-काया को प्रकम्पित कर सके; और भीम वह सौभाग्यशाली मनुष्य था [जो ऐसा कर सका । मुकुन्द्रा घाटी में भी ऐसी ही वार्ता आज तक प्रचलित है । एक दूसरे स्थल के लिए बताया गया कि वहाँ 'कमण्डली' अथवा 'कुण्डल-कुण्ड' नामक जलाशय है जहाँ मानवीय सामान्य प्रायु से अत्यधिक वय वाला एक साधु जीवन व्यतीत कर रहा था। कहते हैं कि वह एक सौ बीस वर्ष का था। वह अपने पवित्र जीवन एवं परोपकारपरायणता के कारण सभी के द्वारा पूजनीय था क्योंकि सती-सेवकों से प्राप्त होने वाली भेंट से उसने गिरनार के गरीब यात्रियों के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org