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पश्चिमी भारत की यात्रा मन्दिर है जो फ्रोजियन (Phrygian) ' देवी से कुछ ही भिन्न लगती है अथवा उसी की बहिन है। वह काँटों का मुकुट पहने हुए है और बाघ उसका वाहन है । पहले सौराष्ट्र के जंगल इन दोनों से ही खूब भरे हुए थे।
यह स्मारक स्पष्ट ही किसी महान् विजेता का है, जो काले पत्थर के एक अर्द्धचन्द्राकार ढेर के रूप में धरती माता की ऊपरी परत पर मस्से के समान है, जिसमें न कहीं छिद्र है न असमानता, और जो 'लोह-लेखनी' की करामात से एक पुस्तक में बदल गया है । इसके परिधि-खण्ड की माप लगभग नव्वे फीट है; इसकी सतह कुछ विभागों अथवा समानान्तर चतुर्भजों में बँटी हुई है, जिनके अन्दर सामान्य प्राचीन अक्षरों में खुदे हुए शिलालेख हैं। इनमें से दो कारतूस रखने की पेटी-जैसे (पत्थरों पर खदे) लेखों की नकल मैंने अपने गुरु की सहायता से और बहुत सावधानी से की; तीसरे की भी आंशिक रूप में नकल ली तो है, परन्तु इसके अक्षर भिन्न हैं। पहले दो लेखों की दिल्ली के विजय-स्तम्भों, मेवाड़ की झोल के बीच में खड़े 'विजय-स्तम्भ' और भारत के विभिन्न प्राचीन गुहा - मंन्दिरों के लेखों से समानता स्पष्ट है । प्रत्येक अक्षर लम्बाई में लगभग दो इञ्च है और बहुत ही सुडोल रूप में बनाया गया है तथा उसकी प्राकृति पूर्णतया सुरक्षित है। इनसे कुछ प्राधुनिक प्रकार के अक्षरों के नमूने इस ढेर की चोटी पर तथा पश्चिमी ढाल पर मिले । ये उन अक्षरों के समान हैं जो मैंने 'ट्रांजेक्शन्स आफ दी रायल एशियाटिक सोसाइटी' के लिए इण्डो-गेटिक पदकों पर उत्कीर्ण कराए थे तथा जिनके नमूने मैंने कालीकोट के खण्डहरों और खाड़ी के उस ओर के दूसरे प्राचीन नगरों से प्राप्त किए थे। मैं उनको पाठकों के लिए यहाँ पर उद्धत करता हूँ कि जिससे वे शिलालेखों से उनका मीलान कर सकें। मैं इसको सही रूप में एक पुस्तक कह सकता है क्योंकि पूरी चट्टान उन अक्षरों से भरी हुई है, जो बनावट में इतने समान हैं कि इन सभी को आसानी से अत्यन्त प्राचीन कहा जा सकता है और मैं इसको एक ही व्यक्ति की कृति की 'पाण्डुलिपि' मानता हूँ। परन्तु, वह व्यक्ति कौन था ? ये अक्षराकृतियाँ निश्चय ही सूरोइ (Suroi) के विजेता मीनान्डर (Menander) और अपोलोडोटस (Appolodotus) से बहुत पहले के समय की हैं और इनमें ग्रीक अक्षरों का विचित्र मिश्रण होते हुए भी हम यह कल्पना नहीं कर सकते कि ये उनको राजपूतों से हुई भेट अथवा Tessariostus या तेजराज पर प्राप्त विजय के सूचक
• Phrygia (फ्रोजिया) एशिया माइनर में है। वहाँ के लोग मागे निकली हुई नोकदार ___टोपियाँ पहनते थे। २ मेवाड़ का विजयस्तम्भ तो चित्तौड़ दुर्ग में है, वहाँ झील कहाँ है ?
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