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________________ प्रकरण - १६, सोमनाथ का मन्दिर [ ३५१ अमन (Ammon)' व बाल-देवताओं का पूजन करते थे' उस समय के गेराजिम (Garazim) अथवा बाल्बैक (Balbec) के शून्य जनस्थानों में बने हुए मन्दिरों की अपेक्षा इस भारत के सीरिया में बने हुए बालनाथ के मन्दिर का निर्माण-समय पूर्वतन मान कर इसको प्राचीनता को अतिरञ्जित भी हमें नहीं करना चाहिए। यूरोप में तो हमें बहुत थोड़े ऐसे गिरजाघरों की कल्पना करनी चाहिए, जो सोमनाथ के मन्दिर से बड़े न हों; परन्तु, इसकी दैत्याकार सुदृढ़ता से मन पर विशालता का वास्तविक प्रभाव पड़ता है और ऐसा लगता है मानो काल और मानवीय विद्वेष से टक्कर लेने के लिए ही इसकी ऐसी रचना की गई है। यह उस समय कैसा लगता होगा जब इसका शिखर नाविकों के लिए मार्गदर्शक संकेत बना हुआ था, जब स्तम्भपंक्तियों से युक्त इसके विशिष्ट पार्श्वमार्ग अभग्न अवस्था में थे और, सब से बढ़ कर, जब प्रवेशद्वार की गुम्बजदार छत के भग्न होने से पूर्व, मन्दिर का मुख्य उपाङ्ग, नन्दि-मण्डप, जो अपने आप में एक मन्दिर के समान था, अपने स्तम्भों और गुम्बज तथा बालनाथ के लिंग के सामने घुटने टेक कर बैठे हुए पोतल के वृषभ (जो सूर्यदेव का अन्यतम रूप है) सहित सम्पूर्ण अवस्था में विद्यमान था ! ___अस्तु, अब पुन: विवरण की बात पर आते हैं। पहले बाहरी भाग को लीजिए; बीठ (Beeth) अथवा स्तम्भाधार भूमि चार भागों में विभक्त है और प्रत्येक का नामकरण उस भाग में हुए संगतराशी के काम पर हुआ है। पहले भाग में साधारण इजारों के मालाकार दानों पर ग्रहों के बहुत से मस्तक बने शिया में प्राप्त कितने ही शिलालेखों से इस देवता के अस्तित्व और पूजित होने के प्रमाण भी मिले हैं । यह कनॅनाइट, फोनीशियन और हिब्रू देवता है । इसका उच्चारण 'अश्तर' और 'इश्तर' अथवा 'प्रश्-तर-तु' (Ash-tar-tu) भी किया जाता है । 'तु' प्रत्यय स्त्रीलिंग का वाचक है । यह सेमिटिक देवता मानी जाती है । कुछ विद्वानों का मत है कि पुरुष और स्त्री, दोनों ही रूपों में इसकी पूजा होती थी। बन्धनरहित यौन-प्रेम, मातृत्व और प्रजनन तथा युद्धदेवता के रूप में इसकी उपासना होती थी। Encyclopedia of Religion and Ethics; Hastings Vol. 2; p. 115-118 ' मिस्र का वृहद् देवता। इसका पूजन यूनान तक फैल गया था, जहां यह ज्यूस (zeus) नाम से और रोम में ज्यूपिटर एम्मोन (Jupiter Ammon) नाम से प्रसिद्ध था । इसकी भविष्यवाणी अफ्रीका में सिकन्दर के प्रागमन के बाद प्रसिद्ध हुई थी। • Baalbac (बॉलबेक) नामक नगर का निर्माण जेनी (Genie) ने जान-बेन-जान के आदेश से कराया था। पूर्वीय पुराण-कथानों में कहा गया है कि जान वेन जान 'प्रादम' से भी बहुत पूर्व लोकों का स्वामी था। Dictionary of Phrase and Fable; Brewer---p. 60 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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