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प्रकरण १६
पट्टण सोमनाथ अथवा देवपट्टण; इसको प्रसिद्धिः सूर्य • मन्दिर, सिद्धेश्वर का मन्दिर; कन्हैया की कथा; उनको निर्वाणस्थली; भीमनाप-देवालय; कोटेश्वर महादेव के मन्दिर में पत्थर का त्रिशूल, प्राचीन नगर का वर्णन; मूल धास्तु, नुकीली मेहराब; सोमनाथ के मन्दिर का वर्णन; इसके दृश्य की सुन्दरता; मूतिभञ्जक महमूद का नाम नगर में अज्ञात; 'सोमनाथ के पतन की कथा' का हस्तलिखित ग्रन्थ; महमूद से पूर्व विध्वंस के चिह्नः दो नये संवत्सर; आधुनिक नगर।
पट्टण सोमनाथ - नवम्बर २६वीं - अन्त में मुझे भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध नगर के, जिसको अधिक आदरपूर्वक देवपट्टण अथवा शुद्ध रूप में देवपत्तन अर्थात देव का मुख्य निवास-स्थान कहते हैं, दर्शन हुए । हमारे पिछले डेरे से यहां तक सात मील का फासला है जिसकी भूमि सपाट, मिट्टी अच्छी और फसलें उत्तम हैं । यहां पहुंचने पर हमें त्रिवेणो को पार करना पड़ा ; यह 'बजिनो', सरस्वती (हिन्दू मिनर्वा) और हिरण्या (स्वर्णमयो) का संगम है । पहली नदी दल-दल में होकर बहती है इसलिए इसके विषय में कोई प्रशंसनीय वक्तव्य नहीं है, परन्तु अपर दोनों नदियों का जल स्वच्छ और निर्मल है। अन्तिम नदी को पार करने पर सूर्य का शिखरहीन मन्दिर और नगर के परकोटे की धुंधलो बुर्जे पत्रावली में होकर दिखाई पड़ने लगी तो वे मस्तिष्क की आंखों के सामने आठ शताब्दी पूर्व महमूद और उसको विजय की दृश्यावली को उपस्थित करने लगीं । हिन्दू और मुसलिम इतिहास से सम्बद्ध इस सुप्रसिद्ध मन्दिर की यात्रा का विचार करने वाले व्यक्ति के मन में कैसे कैसे भावों की बाढ़ पाती होगी ! अपने लक्ष्य की अोर बढ़ता हुआ मैं, पूर्वधारणा और उपेक्षा के मिश्रित भावों को लिये हुए, मुसलिम सन्त 'गब्बीशाह' की मजार के पास होकर निकला, परन्तु 'सूर्य-मन्दिर' में पहुँचने तक सांस लेने को भी बीच में नहीं ठहरा। यह मन्दिर अब उजाड़ और अपवित्र दशा में पशुओं का आश्रय-स्थान बनो हुआ है और इसका टूटा-फूटा शिखर और गर्भगृह टुकड़े-टुकड़े हो जमीन पर बिखरा पड़ा है । यद्यपि इसमें विशालता जैसी कोई बात नहीं है, परन्तु इसकी बनावट बहुत ठोस है और शिल्पशास्त्र में विहित पवित्र शिखरबन्ध भवनों के सभी विधान के पूर्ण अनुकूल है । भित्तियों पर बनी आकृतियों के ढांचे स्थूल और स्पष्ट हैं तथा हाव-भाव भी कहीं-कहीं अाकर्षक हैं, परन्तु जो सामग्री प्रयुक्त हुई है वह केवल किरकिरी मिट्टी या बजरी मात्र है जिसमें छेनी के काम के लिए कोई अवसर
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