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पश्चिमी भारत की यात्रा
लॉङ्गोबाई अलबोइन (Longobardic Alboin) और वाराञ्जिमन जार (Varangian Czar) दोनों ही नॉरमन (Norman) थे जिस जाति के लोगों ने वेज़र (Weser)' और एल्ब (Elbe) के मुहानों को आबाद कर रखा था
और स्कैण्डिनेविया (Scandinavia) के प्रारम्भिक इतिहासकारों ने भी जिनको एशी अथवा एशियाई कह कर उनको भिन्नता प्रकट की है । प्रतिदिन ऐसे प्रमाण मिल रहे हैं कि कोई प्रादिकालीन भाषा ट्यूटॉनिक (Teutonic) से जिसका पृथक्त्व बताने के लिए इण्डो-जरमनिक (Indo-Germanic) संज्ञा दी गई है उससे बहुत अधिक मिलीजुली है और उनकी प्राचीन मान्यताएं एवं रीतिरिवाज़ भी समान हैं। इससे यह अनुमान होता है कि यद्यपि प्राज इन देशों के निवासियों के देश, रंग, धर्म और रहन-सहन में बहुत बड़ा अन्तर आ गया है फिर भी यह असम्भव नहीं है कि एलब के काठी और सिकन्दर का सामना करने वाले काठी के पूर्वज मध्य एशिया के किसी एक ही क्षेत्र से निकल कर विभिन्न स्थानों को चले गए हों।
परन्तु, अब हम मार्ग में आने वाले मनोरञ्जक उदाहरणों के आधार पर वर्तमान रंगढंग की रूप-रेखा बनाते हुए आगे चलें और पुनः जेसाजी से मिलें। आजकल की अधम शान्ति के दिन उनकी पैदा के लिए घातक सिद्ध हुए हैं और उनके मस्तिष्क की गति किसी भी दूर के धाड़े में तलवार हाथ में होने पर गिरफ्तार कर लिए जाने की अस्पष्ट आशंका से रुद्ध हो गई है। इसका मजा उन्हें पहले मिल चुका है जैसा कि उन्होंने हमारे सामने अपनी सहज सरलता के साथ वर्णन किया है। उनकी घुड़सवारी की शान अब गढ़ के आसपास के खेतों में काम करने वाले कृषकों की देखभाल करने तक ही सीमित रह गई है और केवल इसी पर उनके गुजारे की आशा टिकी हुई है। हां, तो उनकी कहानी इस प्रकार है-अपने अनियमित धन्धे के अतिरिक्त जेसाजी ने गोंडल के चार गांवों पर अपना ग्रास' कोयम कर लिया था; और इस विषय में यह एक सबक था
, जर्मनी की एक नदी जो मिण्डेन (Minden) नामक स्थान पर फुल्दा (Fulda) और वेरा (Wera) नामक नदियों के मिलने स बनती और ३०० मील उत्तर में बह कर
उत्तरी समुद्र में गिरती है। • यूरोप की प्रसिद्ध नदी जो बोहेमियाँ के पहाड़ों से निकल कर ७२५ मील का मार्ग पूरा कर के उत्तरी समुद्र में मिलती है। पास या गिरास उस लगान या कर वसूल करने के अधिकार को कहते हैं, जो किसी सरदार द्वारा धौंस जमा कर किसी गांव से या व्यापार-मार्ग से वसूल किगा जाता था।
-Asiatic Studies I, Lyall; p. 181
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