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________________ ३२० ] पश्चिमी भारत की यात्रा AB. कुमा CD. कुए के सिरे पर खड़ा लट्ठा EF. आड़ा डण्डा जो D बिन्दु पर मुकता है और ऊंचा होता है E. मिट्टी का लौंदा या भारी पत्थर जो H चड़स को पानी में डुबोता है FG. रस्सी, जिसके द्वारा किसान चड़स को डुबोता है और ऊंचा उठाता है IH. चमड़े का लचकोला [सूंडया] चड़स जिसके दोनों मुंह खुले होते हैं। चौड़े मुंह का व्यास करीब १५ इंच होता है; यह लोहे के गोल चक्कर [माँडळ-मंडल] के सहारे खुला रहता है जिसमें abcd लोहे के दो आड़े डंडे भी लगे रहते हैं । KI. चड़स की सूंड को कायम रखने का तस्मा KL. पानी की नाली (ढाणा) जब चड़स भर जाता है तो E.D.F डंडा खींच लिया जाता है, इससे चड़स किसान के पास पा जाता है, फिर KI तस्मे पर झोला देने से इसका मंह ढांणे में आ जाता है, जहां यह स्थायी रूप से अटका रहता है। चौड़े मुंह को तब तक ऊंचा उठाये रहते हैं जब तक कि पूरा पानी खाली न हो जाये, और फिर पुनः भरने के लिए नीचे उतार देते हैं। जहां पानी की सतह नजदीक है वहां बागों और पौधघरों को सींचने के लिए इस यंत्र के उपयोग को सरलता से ग्रहण किया जा सकता है। कोटा के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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