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पश्चिमी भारत की यात्रा सर्वोच्च सम्राट् (विक्रम) को पराजित किया था और जिसका संवत्, जो ईसवीय सन् से छप्पन वर्ष पूर्व का है, अब भी उत्तरी भारत में सुप्रचलित है। किसी समय यह सम्वत सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रचलित था, बाद में टाक अथवा तक्षक शासक ने विक्रम पर आक्रमण करके नर्मदा के दक्षिण भाग में से उसके शासन को उखाड़ फेंका, अपना सम्वत् शक नाम से प्रचलित किया जो उसके सीथिक अथवा गेटिक उद्गम का एक और अन्यतम प्रमाण है । यदि हम पुरानी गाथाओं पर विश्वास करें तो यह मानना होगा कि इन दोनों शासकों के युद्ध का परिणाम एक समझौते के रूप में हुआ जिसके अनुसार शालिवाहन भारत के प्रायद्वीपीय भाग का स्वामी हो गया और महती विभाजन रेखा बनी हुई नर्मदा का समस्त उत्तरी भाग विक्रम के अधिकार में रहा। आज भी पूर्व भाग अर्थात् दक्षिणी भारत में शक का प्रयोग होता है और अपर भाग में अर्थात् उत्तरी भारत में (विक्रम) संवत् प्रचलित है। परन्तु, अब हम बावड़ी को प्राचीन गाथा पर पाते हैं -
कहानी की नायिका सावलिंगा उस समय अपने रूप और गुणों के कारण सर्वत्र प्रशंसा की पात्र बनी हुई थी। वह जैन-धर्म का पालन करती थी और उसके पिता पद्म को उस पर बहुत गर्व एवं सन्तोष था। पद्म उस समय का बहुत धनवान् व्यापारी था। वह गोदावरी के तट पर शालिवाहन की राजधानी पैठान' नामक नगर में रहता था। भारत के महान् जंगल, मरुस्थली के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित पारकर (Parkur) नामक नगर के निवासी एक समानधर्मी और धनी महाजन ने सावलिंगा के माता-पिता से उसकी मांग की थी और उसी के साथ उसकी सगाई हुई थी। उसका भावी पति अपनी मांग को लेने के लिये पैठान आया था। परन्तु, हन्त ! सावलिंगा का हृदय अपने वश में नहीं था; उसने शालिवाहन के पुत्र को देख लिया था; वह उसकी प्रेमिका थी और वह उसका प्रेमी; उस युवक के वियोग की अपेक्षा वह मृत्यु श्रेयस्कर समझती थी और पारकर के नखलिस्तान की अपेक्षा वनवास अच्छा मानती थी। अभी उनका प्रेम पवित्र था ; जगन्माता कालिका देवी के मन्दिर में एक ही आचार्य के पास विद्याध्ययन करने वाले इन दोनों शिष्यों के हृदयों में प्रेम का पौधा अनजाने ही पनप गया था। और, वियोग का प्रारणघातक दिन आया
१ यही Periplus का Tagara है जहां से रोम के बाजारों में मलमलें जाया करती थीं। मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि यह नाम 'टाकनगर' अथवा 'तक्षकनगर' का ही
अपभ्रंश है। २ मूल कथा में 'पारा नगर' और 'रूपसी मेहता' नाम लिखे हैं। पारा नगर की स्थिति
अन्वेष्य है।
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