________________
२५६ ]
पश्चिमी भारत की यात्रा पीछे नहीं रहे हैं, और इसकी पुष्टि में मैं कह सकता हूँ कि यदि स्वास्थ्य और पर्याप्त अवकाश मुझे मिलता तो जो कुछ मैंने किया है उससे दस गुना काम करता और यदि विशेष सुविधाएँ मिली होती तो उस दस गुने का भी दसगुना करके दिखाता; मेरे इस कथन पर विश्वास कर लेना चाहिए।
___ मही नदी को पार करने के लिए बड़ी चढ़ाई करनी पड़ी । प्रत्येक दिन की मंजिल के बाद भी इसका विस्तार बढ़ता हुआ ही प्रतीत होता था। मुझे अपने सङ्घ और सामान को पार ले जाने के लिए एक मात्र छोटी-सी नाव मिली थी और नदी में पहले से ही बड़ा भारी चढ़ावा गया था; वह खम्भात की खाडी में प्रचण्ड वेग के साथ समुद्राभिमुख बह रही थी। घोड़ों को नाव में चढ़ाना किसी प्रकार सम्भव नहीं था इसलिए उनको ऊँचे घाट पर से परली पार ले जाने का एक मात्र प्रकार यही था कि उनके चाबुक लगा कर बगल से पानी में उतार कर ले जाया जाए। यह क्रिया यद्यपि साधारण थी परन्तु इसे दमघोंट जोखिम उठा कर पूरा करना पड़ा; इसके अतिरिक्त दिन बहुत चढ़ गया था और सब घोड़ों को पार उतारने के लिए उतने ही आदमियों की आवश्यकता थी जितनी उनकी संख्या थी अर्थात् पूरे तीस; ऊपर से पानी पोटों पड़ रहा था और उधर पहुँचे बिना रसद मिलने वाली नहीं थी। इसी तर्क-वितर्क में मैंने अपने लवाजमे के नायक बुड्ढे रिसालदार के पास जाकर कहा, 'यदि ऐसी नदी के कारण अपनी सेना को रुकी हुई देखते तो सिकन्दर साहिब क्या कहते ?' बस इतना ही पर्याप्त था और उस वृद्ध ने स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा-'कपड़े उतारो।' पाँच ही मिनट में उन्होंने अपने कपड़ों की गठरियाँ बाँध कर नाव में रख दी और उस वृद्ध ने अपनी घोड़ी पानी में उतार दी तथा धीरे-धीरे पार ले गया; उसके पीछे-पीछे धारा से जूझती हुई वह सवारों की छोटी-सी टुकड़ी चली, जिसमें कुछ अपने घोड़ों की पूंछ के भरोसे थे तो कुछ उनकी अयालों से अटके हुए थे; इस प्रकार वे सब अच्छी तरह उस पार पहुँच गए। यह बड़ी उद्विग्नता का क्षण था, एक बार बढ़ावा दिया गया कि फिर इसे रोकना कहाँ? सिपाहियों के लिए यह रुकना अपराध समझा जाता और 'स्किनर्स' के
१ कर्नल जेम्स स्किनर के नाम पर बनी 'केवलरी'। जेम्स का पिता स्काटिश और माता मिर्जापुर जिले की राजपूतानी थी। निजाम की सेना के कर्नल पिरान का १८०५ ई० में देहान्त होने पर उसके २००० घुड़सवारों का रिसाला अंग्रेजी सेना में मिल गया। उसकी कमान जेम्स स्किनर को दी गई, जो 'स्किनर्स हार्स' नाम से प्रसिद्ध हमा। ये Yellow Boys भी कहलाते थे । स्किनर को देशी सिपाही 'सिकन्दर साहिब' कहते थे। १८४१ ई० में उसकी मृत्यु हुई। --European Military Adventures (1784-1803); H. Compton, p. 398
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org