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पश्चिमी भारत की यात्रा
शरणजी (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने भी समय-समय पर मुझे वांछित निर्देशादि देकर उपकृत किया है, तदर्थ वे सादर धन्यवादाह हैं । मेरे अन्यान्य सहयोगियों और विशेषतः श्री पद्मधर पाठक, एम.ए. और श्री लक्ष्मीनारायण जी गोस्वामी ने संदर्भ-संकलन एवं प्रूफ संशोधन आदि में पूर्ण रुचि लेकर सहयोग दिया है एतदर्थ मैं इन बन्धुओं के प्रति सस्नेह अकृत्रिम आभार प्रदर्शन करता हूँ।
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ) हरियाली अमावस्या ३०; २०२२ वि.
गोपाल नारायण
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