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पश्चिमी भारत की यात्रा कुण्डा का राजा 'हर' होगा जो अजमेर के चौहानों की बड़ी शाखा में था और बल्ल रायों (बल्हरों) से निरन्तर लड़सा रहता था। यह अनुमान उसकी निम्न. कुलीन राहमी से घनिष्ठता के कारण भी ठीक बैठता है, जो, मैं समझता हूँ, तेलिंगाना का राय परमार था, जिसने एक बार 'सर्वशक्तिमान' की उपाधि ग्रहण कर ली थी। उसके राज्य में बढ़िया सूती कपड़े बनने की बात से यह मत और भी पुष्ट हो जाता है क्योंकि ये कपड़े, मलमलें और बुरहानपुर का लाल कपड़ा रोम (Rome) तक प्रसिद्ध था और पॅरीप्लस के कर्ता के मतानुसार तो ये चीजें उस समय बहुत बड़ी व्यापारिक वस्तुएं समझी जाती थीं। यात्रियों द्वारा वर्णित शङ्खों तथा कौड़ियों का प्रचलन तो उस समय भी था और अब भी है और इस प्रान्त में समुद्र के किनारे खजूर की गुठलियों का प्रयोग तो आज तक भी होता है।
. 'काशबिन (Kaschbin) राज्य', जिसको जंगलों और पहाड़ों से भरा कहा गया है वह कच्छभुज होना चाहिए; और, हमें यह कल्पना करने का भी लोभ होता है कि 'छोटी और गरीब राजधानी हिब्रुज' ही शत्रिंज' [शत्रुञ्जय] पालीताना का क्षुद्र राज्य था जो आज तक प्रसिद्ध है । 'नेहलवरेह (Nehelwarch) नगर की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करने के बाद, जो नासिरउद्दीन और उलुग़बेग़ की तालिका के अनुसार १०२°३० देशान्तर और २२° उत्तर अक्षांश पर स्थित है इसलिए कालीकट, कोचीन अथवा बीजापुर में से कोई भी नहीं हो सकता, व्याख्याकारने आगे कहा है कि 'काली मिर्च के व्यवसाय को सुविधा के लिए ही उसने बल्हरा का अनुवाद कालीकट कर दिया है, अतः सम्भव है कि कालीकट जाने से पूर्व वह कहीं पर गुजरात में कुछ समय रहा हो।' उसने . पुर्तगाली लेखक जॉन डी बरॉस (John De Barros) का भी उद्धरण दिया है जिसने इस देश की पुस्तकों का अवलोकन कर के लिखा है कि 'उसे भारत के सभी राजाओं पर सम्राट् अर्थात् महाराजाधिराज के अधिकार प्राप्त थे ।' आगे चल कर यह विदित होगा कि अणहिलवाड़ा के बल्हरों और कोंकण के राजाओं के, जिनकी राजधानी कल्याण थी, धनिश्व सम्बन्ध थे और अन्त में उनके राज्य एक ही विशाल साम्राज्य के अन्तर्गत हो गये थे, यद्यपि यह घटना इन यात्रियों के समय की नहीं है। एक विचित्र बात और है, और सम्भवतः वही कालीकट
' जैसा कि अन्यत्र सूचित किया गया है 'स' प्रक्षर का इस प्रान्त में विशेष रूप से उच्चारण होता है; 'सालिमसिंह' को 'हालिम हिंग' बोला जाता है जिससे 'सालिम मिश्री' 'हींग' बन जाता है।
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