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________________ १५६ ] पश्चिमी भारत को यात्रा में सोलंकी वंश की स्थापना के समय से, जब कि श्रणहिलवाड़ा की नींव पड़ी थी, वर्णन आरम्भ किया है और अपने वर्णनीय (कुमारपाल ) के पूर्ववर्ती राजानों का भी बहुत थोड़ा-थोड़ा वृत्तान्त लिखा है । इनके वर्णन में उसने वंशराज | वनराज ] चरित्र अथवा अणहिलवाड़ा के संस्थापक के इतिहास का आश्रय ग्रहण किया है। उक्त ग्रन्थ का मैंने पता तो लगा लिया था परन्तु एक तनिक सो भूल के कारण मैं उसकी प्रतिलिपि प्राप्त न कर सका । मैं यहाँ पर न तो उस क्रम का अनुसरण करूंगा जिसमें यह ग्रन्थ लिखा गया है और न शब्दशः इसकी प्रवृत्ति ही करूंगा वरन् केवल उन्हीं अंशों को लूंगा जो इस राज्य के अतीत गौरव के विकास का समर्थन करने के निमित्त श्रावश्यक हैं और जो विभिन्न राजवंशों के समयानुक्रम की तालिका से प्रारम्भ होते हैं । जिन राजाओं के कार्य उल्लेखनीय हैं उनके विषय में कुछ टिप्पणियां दे दी गई हैं । मैं यह भली भांति जानता हूँ कि ऐसे विवरण सर्वसाधारण की रुचि के विषय नहीं होते; अतः ये विशेषतः उन्हीं लोगों के लिए हैं जो प्राँख मींच कर यह मान बैठे हैं कि हिन्दुओं के पास ऐतिहासिक ग्रन्थों जैसी कोई वस्तु ही नही है । राजा का नाम बंसराज जू [ जो ] ग राज खीमराज व्यो | बी / रजी बीरसिंह [वैरिसिंह) रत्नादित्य सामन्त Jain Education International अणहिलवाड़ा के राजवंश प्रथम- चाउड़ा, चावड़ा अथवा सौर वंश राज्यारोहण का संवत् ८०२ ८५२ ८८७ १२ ६४१ ६६६ ६८१ सन् ७४६ ७६६ ८३१ ८५६ ८८५ १६ ६२५ राज्यकाल ५०/ ३५ २५ २६ २५ १५ ७ १८६ विशेष Chronicle इतिहास कहता है 'उसने ५० वर्ष राज्य किया और वह ६० वर्ष जीवित रहा । प्रथम अरब यात्री [२३७ अल हिजरी, ८५१ ई०] द्वितीय [ल हिजरी २५४, ८६८ ई०] संवत् ६८८ अथवा सन् ६३२ ई० तक राज्य किया । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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